तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

रविवार, 24 जुलाई 2016

महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाज़त की बात कर

इज्जत की बात कर न सियासत की बात कर । 
महफ़ूज़ रहे मुल्क  हिफ़ाजत  की  बात  कर ।।

तहजीब  के  कातिल  हुए  बेख़ौफ़  बदजुबाँ ।
उम्मीद  में न  इनसे शराफ़त  की  बात  कर ।।

अब तो सही गलत पे है चरचा फिजूल  सब ।
कैसे  लगी  है आग हिमाकत  की  बात कर ।।

मथुरा   के   गुनहगार  भी  शरीफ   हो   गए ।
उनसे मिली जो आज हिदायत की बात कर ।।

बेटों   के  नाम   कुर्सियाँ   आबाद   हो  रहीं ।
अब तो जम्हूरियत में वसीयत की बात कर ।।

माँ  बेटियों  के  दर्द  से  वाकिफ कहाँ  है वो ।
ऐसे  दुशासनो  से  सलामत  की  बात  कर ।।

कुछ  भूत  भागते  नही   हैं  बात   से  कभी ।
थोड़ी अकल के साथ कहावत की बात कर ।।

जिन्दा   रहे   न   कोई   दरिन्दा   जहान   में ।
आते  चुनाव  में  तू  हजामत  की  बात कर ।।

नागन है इक  तरफ  तो नाग  कुर्सियो  पे है ।
लेकर खुदा का नाम रियासत की बात  कर ।।

वर्षों  से  लुट  रहा  है  यहां  आम  आदमी ।
अपनी दुआ में साफ़ हुकूमत की  बात  कर ।।

                  ---  नवीन मणि त्रिपाठी

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