2122 2122 212
हरकतें ये आशिकाना बस करो ।
बेसबब यूँ मुस्कुराना बस करो ।।
फिक्र किसको है यहां इंसान की ।
फिर कोई ताज़ा बहाना , बस करो ।।
होश में मिलते कहाँ मुद्दत से तुम।
इस तरह से दिल लगाना, बस करो ।।
बेवफा की हो चुकी खातिर बहुत ।
राह में पलकें बिछाना, बस करो ।।
घर मे कंगाली का आलम देख कर ।
गैर पर सब कुछ लुटाना ,बस करो ।।
रंजिशों से कौन जीता. इश्क़ में।
हार कर अब तिलमिलाना, बस करो ।।
कर गई दीवानगी घायल उसे ।
वार अपना क़ातिलाना , बस करो।।
देख ली मेरी लियाकत जंग में ।
रोज मुझको आजमाना, बस करो ।।
साफ़ कह दो अब नहीं रिश्ता रहा।
जिंदगी भर का फ़साना ,बस करो ।।
सच को सुनने का रखो तुम हौसला ।
आइनों से मुहँ छुपाना बस करो ।।
कुछ तुम्हारी गलतियां होंगी ज़रूर ।
बे गुनाहों पर निशाना, बस करो ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
हरकतें ये आशिकाना बस करो ।
बेसबब यूँ मुस्कुराना बस करो ।।
फिक्र किसको है यहां इंसान की ।
फिर कोई ताज़ा बहाना , बस करो ।।
होश में मिलते कहाँ मुद्दत से तुम।
इस तरह से दिल लगाना, बस करो ।।
बेवफा की हो चुकी खातिर बहुत ।
राह में पलकें बिछाना, बस करो ।।
घर मे कंगाली का आलम देख कर ।
गैर पर सब कुछ लुटाना ,बस करो ।।
रंजिशों से कौन जीता. इश्क़ में।
हार कर अब तिलमिलाना, बस करो ।।
कर गई दीवानगी घायल उसे ।
वार अपना क़ातिलाना , बस करो।।
देख ली मेरी लियाकत जंग में ।
रोज मुझको आजमाना, बस करो ।।
साफ़ कह दो अब नहीं रिश्ता रहा।
जिंदगी भर का फ़साना ,बस करो ।।
सच को सुनने का रखो तुम हौसला ।
आइनों से मुहँ छुपाना बस करो ।।
कुछ तुम्हारी गलतियां होंगी ज़रूर ।
बे गुनाहों पर निशाना, बस करो ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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