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छलके जो उनकी आंख से जज़्बात ख़ुद ब ख़ुद ।
आए मेरी ज़ुबाँ पे सवालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
किस्मत खुदा ने ऐसी बनाई है दोस्तों ।
मिलती हमें गमों की ये सौगात ख़ुद ब ख़ुद ।।
चर्चा है शह्र भर में इसी बात का सनम ।
बाँटी है तूने इश्क़ की ख़ैरात ख़ुद ब ख़ुद ।।
मेहनत पे कुछभरोसा होऔर हो नियत भी साफ़।
बढ़ जाएगी तुम्हारी भी औक़ात ख़ुद ब ख़ुद ।।
दहशत भरी घुटन से ये अहसास हो रहा ।
बदलेगी कुछ तो सूरते हालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
मुद्दत से इस तरह से मुझे देखते हो क्यूँ ।
होने लगे न प्यार की बरसात ख़ुद ब खुद ।।
इक दिन तुम्हारे हुस्न का दीदार क्या हुआ ।
अब तक हैं क़ैद ज़ेहन में लम्हात ख़ुद ब ख़ुद ।।
कुछ तो असर हुआ है मेरी चाहतों का यार ।
करने लगे वो मुझसे मुलाकात खुद ब खुद ।।
इन ख़्वाहिशों के दौर में थोड़ा तो सब्र कर ।
आएगी तेरे हक़ में कोई रात ख़ुद ब ख़ुद ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
छलके जो उनकी आंख से जज़्बात ख़ुद ब ख़ुद ।
आए मेरी ज़ुबाँ पे सवालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
किस्मत खुदा ने ऐसी बनाई है दोस्तों ।
मिलती हमें गमों की ये सौगात ख़ुद ब ख़ुद ।।
चर्चा है शह्र भर में इसी बात का सनम ।
बाँटी है तूने इश्क़ की ख़ैरात ख़ुद ब ख़ुद ।।
मेहनत पे कुछभरोसा होऔर हो नियत भी साफ़।
बढ़ जाएगी तुम्हारी भी औक़ात ख़ुद ब ख़ुद ।।
दहशत भरी घुटन से ये अहसास हो रहा ।
बदलेगी कुछ तो सूरते हालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
मुद्दत से इस तरह से मुझे देखते हो क्यूँ ।
होने लगे न प्यार की बरसात ख़ुद ब खुद ।।
इक दिन तुम्हारे हुस्न का दीदार क्या हुआ ।
अब तक हैं क़ैद ज़ेहन में लम्हात ख़ुद ब ख़ुद ।।
कुछ तो असर हुआ है मेरी चाहतों का यार ।
करने लगे वो मुझसे मुलाकात खुद ब खुद ।।
इन ख़्वाहिशों के दौर में थोड़ा तो सब्र कर ।
आएगी तेरे हक़ में कोई रात ख़ुद ब ख़ुद ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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