2122 2122 212
हुस्न का बेहतर नज़ारा चाहिए ।
कुछ तो जीने का सहारा चाहिए ।।
हो मुहब्बत का यहां पर श्री गणेश ।
आप का बस इक इशारा चाहिए ।।
हैं टिके रिश्ते सभी दौलत पे जब ।
आपको भी क्या गुजारा चाहिए ।।
है किसी तूफ़ान की आहट यहां ।
कश्तियों को अब किनारा चाहिए ।।
चाँद कायम रह सके जलवा तेरा ।
आसमा में हर सितारा चाहिए ।।
फर्ज उनका है तुम्हें वो काम दें ।
वोट जिनको भी तुम्हारा चाहिए ।।
अब न लॉलीपॉप की चर्चा करें ।
सिर्फ हमको हक़ हमारा चाहिए ।।
कब तलक लुटता रहे इंसान यह ।
अब तरक्की वाली धारा चाहिए ।।
जात मजहब ।से जरा ऊपर उठो ।
हर जुबाँ पर ये ही नारा चाहिए ।।
अम्न को घर में जला देगा कोई ।
नफरतों का इक शरारा चाहिए ।।
शब्दार्थ - शरारा - चिंगारी
- नवीन मणि त्रिपाठी
हुस्न का बेहतर नज़ारा चाहिए ।
कुछ तो जीने का सहारा चाहिए ।।
हो मुहब्बत का यहां पर श्री गणेश ।
आप का बस इक इशारा चाहिए ।।
हैं टिके रिश्ते सभी दौलत पे जब ।
आपको भी क्या गुजारा चाहिए ।।
है किसी तूफ़ान की आहट यहां ।
कश्तियों को अब किनारा चाहिए ।।
चाँद कायम रह सके जलवा तेरा ।
आसमा में हर सितारा चाहिए ।।
फर्ज उनका है तुम्हें वो काम दें ।
वोट जिनको भी तुम्हारा चाहिए ।।
अब न लॉलीपॉप की चर्चा करें ।
सिर्फ हमको हक़ हमारा चाहिए ।।
कब तलक लुटता रहे इंसान यह ।
अब तरक्की वाली धारा चाहिए ।।
जात मजहब ।से जरा ऊपर उठो ।
हर जुबाँ पर ये ही नारा चाहिए ।।
अम्न को घर में जला देगा कोई ।
नफरतों का इक शरारा चाहिए ।।
शब्दार्थ - शरारा - चिंगारी
- नवीन मणि त्रिपाठी
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