उनको जम्हूरियत की तो परवाह नहीं है ।
लूटा गया वतन है ,ये अफवाह नहीं है ॥
चोरों के गुनाहों की सजा मांगी थी जिसने ।
पर्दा उठा के देखा वही शाह नहीं है ॥
विस्फोट कर रहे हैं वो आवाम के लिए ।
कैसे कहोगे अब उसे गुमराह नहीं है ॥
जुल्मो सितम को सहती बेटियों को बचा लो ।
तहजीब डूबने से वो , आगाह नहीं है ॥
बैठे हैं वो घोटालों के दम पर अमीर बन ।
उनकी नजर में ये कोई गुनाह नहीं है ॥
उनकी सजाये मौत पे बरपा है शोर क्यों |
अमनो शुकुं की ओर अब निगाह नहीं है ॥
लूटा गया वतन है ,ये अफवाह नहीं है ॥
चोरों के गुनाहों की सजा मांगी थी जिसने ।
पर्दा उठा के देखा वही शाह नहीं है ॥
विस्फोट कर रहे हैं वो आवाम के लिए ।
कैसे कहोगे अब उसे गुमराह नहीं है ॥
जुल्मो सितम को सहती बेटियों को बचा लो ।
तहजीब डूबने से वो , आगाह नहीं है ॥
बैठे हैं वो घोटालों के दम पर अमीर बन ।
उनकी नजर में ये कोई गुनाह नहीं है ॥
उनकी सजाये मौत पे बरपा है शोर क्यों |
अमनो शुकुं की ओर अब निगाह नहीं है ॥