तीखी कलम से
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शनिवार, 8 फ़रवरी 2025
है तो है
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2122 2122 2122 212 मैं सुख़नवर हूँ मेरी ताक़त सदाक़त है तो है । ऐ ख़ुदा तेरे लिए सच्ची इबादत है तो है ।। 1 हथकड़ी में भेजता व...
घरों से उठीं अर्थियां कैसे कैसे
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ग़ज़ल 122 122 122 122 न पूछो ये निकली है जाँ कैसे कैसे । चलीं अम्न पर गोलियां कैसे कैसे ।। बताते हैं वो अश्क आंखों में लेकर गिराया गया ये मक...
रात भर उसने मेरे ख़त को जलाया होगा
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2122 1122 1122 22 हिज्र के बाद उसे होश तो आया होगा । रात भर उसने मेरे ख़त को जलाया होगा ।। 1 बेसबब आती नहीं है ये तबाही की लहर । कुछ...
लगने लगी हैं बोलियाँ
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221 2121 1221 212 क्या क्या ख़बर सुनाऊं तुम्हें इस जहान की । लगने लगी हैं बोलियां मेरे मकान की ।। महँगाई डँस रही हो जहाँ रोज सुबहो...
ख्वाब का इक सिलसिला मिल जाएगा
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2122 2122 2122 212 ज़िन्दगी जीने का शायद फ़लसफ़ा मिल जाएगा । उनसे मिलकर ख़्वाब का इक सिलसिला मिल जाएगा ।। उसकी ज़िद है ख़त मुझे लिक्खेगा...
रविवार, 30 जून 2024
दुनिया को मुहब्बत से जलन कम नहीं होती
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ग़ज़ल 221 1221 1221 122 चेहरे पे मुहब्बत की शिकन कम नहीं होती । माशूक़ की ख़ुशबू ए बदन कम नहीं होती ।।1 उल्फ़त की है ये ज़ुस्तज़ू दीवानगी का द...
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मंगलवार, 19 अप्रैल 2022
भगवान परशुराम जयंती पर
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2122 1122 1122 22 बज्र बन कर के दधीची को जिया करते हैं । हवा के रुख को भी हम मोड़ लिया करते हैं । बन के कौटिल्य बचाते है देश को अक...
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