तीखी कलम से

शनिवार, 26 नवंबर 2011

मैंने ग़ज़ल लिखी है

मैंने   ग़ज़ल   लिखी    है  तेरे    यादगार    की |
तश्वीर     पुरानी     है   ,  खिजांए   बहार    की ||

मौसम ने गुलिस्तां को भिगोया था बहुत खूब |
साजिस    रची   गयी   तेरे   पुरवा   बयार  की ||

दिल थाम के  रोया न  मैं आशिक मिजाज था |
अश्कों   ने   कहानी   लिखी  थी  तेरे प्यार की ||

लिक्खा   जो   नाम रेत  पे  पहचान की  खातिर|
लहरें    बहा   के  ले   गईं    अरमान   यार   की  ||

दिल    के  बाज़ार  में  तो  मैं  आया  था शान से |
कीमत   लगाई    तू    ने    मेरे   बे    करार   की ||
                                                                             -नवीन

7 टिप्‍पणियां:

  1. लिक्खा जो नाम तेरा रेत पे पहचान की खातिर
    लहरेम बहा के ले गईं,अरमान यार की
    खूब लिखा.

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  2. सुन्दर गज़ल नवीन भाई...
    सादर बधाई...

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  3. मौसम ने गुलिस्तां को भिगोया था बहुत खूब |
    साजिस रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||

    बढ़िया लिखा है

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