तीखी कलम से

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

2012 अवधी भाषा में छंद

             आप सब को नव वर्ष २०१२ पर हार्दिक बधाई देता हूँ | प्रभु की महान अनुकम्पा सदैव आप के साथ रहे तथा नूतन वर्ष में आपकी लेखनी साहित्य सृजन के क्षेत्र में अनवरत अनंत ऊँचाइयों   को छूती  रहे | 

       नव वर्ष 2012  आ गया है | मैंने अपनी भावनाओं के माध्यम से  अवधी भाषा में मंगल कामना हेतु  कुछ छंद समाज के चार वर्गों को समर्पित करने का प्रयास किया है | विश्वास  है, आपका स्नेह मेरी रचना के लिए जरूर मिलेगा | 



                   वर्ष २०१२ पर मंगल   कामना लिए हुए समाज के चारों वर्गों को समर्पित क्षेत्रीय अवधी भाषा में  छंद -

धन  धान्य  भरै,घर क्लेश मिटै, मिटि  जावहि जीवन कै अधियारो |
 यहि  बारह अंक से ,बारह राशि  को,  वर्ष मिलै  तुमका उजियारो ||
बस  प्रीति की  पाँखुरी  में  सगरौ ,तुम मोहक मोहक  पंथ  निहारो |
लडिके  पडिके   सब  फूलैं फलै ,यही  देखि तुम्हारे हों  नैन सुखारो ||


निज   कर्म  के  रंग  न  भंग  परै, तुलसी   कै  बयार  बहै  नित द्वारो |
माया  की  माया  से  दूरि राखें प्रभु ,चंचला  गनपति  संग  पधारो ||
कहत   नवीन   जौ   नूतन   साल से, नेह   के  नवरस  पान चखारो | 
फूल   गुलाब   सरीखी   खिलै ,होई  मंगल  मय   नव  वर्ष  तुम्हारो ||


रक्त   की  बात  करौ  न सखा , यहि वर्ष कै चाँद भलो  अति  न्यारो |
जरदारी  गिलानी कियानी  सबै, मिटि जावहिं आपन पाप के भारो||
बसुधैव  कुटुम्ब  की  ज्योति  लई यहि  देश  की  पावन भूमि पुकारो |
नव   देश  रचौ  नव  रंग  भरौ , नव   नीरज  के  जस  वर्ष  ऊकारो ||


खटिया - मचिया, कथरी - दउरी ,ड्योढ़ी  मा  सजै तुम्हरे घर बारो |
बिटिया  कै बियाहे  कै  हेंगा  गडै ,नव  पाहुन  आवै  तिहारे वसारो ||
खइरी  भइसी  कै   दूध   बढे, बढ़ी  जवाहिं   पूँछहिं   पूँछि   मुहारो |
नारिया खपड़ा कै विसारो तनि, यहि साल नवा घर मा  सिर डारो ||












37 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर कामना है आपकी, अच्छी रचना बधाई

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन रचना,.....
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..

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  3. बहुत दिनों के बाद एक अत्यंत सुरुचि पूर्ण व तथ्यात्मक रचना पढ़ने को मिली है. आपको इस नव वर्ष की शुभ बेला में हार्दिक शुभकामनाये.

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  4. तीखी कलम की मीठी रचना. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  5. बहुत सुन्दर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  6. सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

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  7. अवधी अपने चरमकाल में,भाषा ही थी,कोई बोली नहीं। कम प्रयोग के कारण देखिए,कहां से कहां आ पहुंची।

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  8. मंगल कामनाएं अभिव्यक्त करते आपके ये छंद बहुत प्यारे हैं।
    शुभ नववर्ष !

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  9. अवधिया खनक लिए कोमल भाव मंगल कामना लिए आपकी रचना गुनगुनाती रही हमारे द्वारे देर तक .बधाई .

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  10. bahut sundar avdhi chhand...
    नव वर्ष मंगलमय हो ..
    बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें

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  11. bahut behtreen chhand ek se badhkar ek.aapko nav vash ki badhaaiyan.

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  12. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  13. वाह नवीन जी आपने तो खम्भा उखाड़ दिया गज़ब की रचना बधाई .

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  14. sundar rachana..नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं..

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  15. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...नववर्ष की शुभकामनाएं

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  16. अवधि का जायका देती शानदार रचना ,ब्लॉग जगत के लिए विशेष उपलब्धि .

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  17. nice poem
    नव वर्ष मंगलमय हो
    बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें

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  18. बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति ।

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  19. कल 04/01/2012 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, 2011 बीता नहीं है ... !

    धन्यवाद!

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  20. पढ़कर बहुत अच्छा लगा ..अपनी भाषा का आनंद ही कुछ और है.

    नए वर्ष की शुभकामनाये. कभी मेरे ब्लॉग पर आयें.आपका स्वागत है.

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  21. आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर

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  22. आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  23. अनुभवी कलम को पढने का आनन्द ही कुछ और होता है ....बहुत ही सुन्दर रचना ...शुभकामनाओं से भरी इस काव्य रचना से बहुत कुछ सिखने को मिला ...

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  24. ऐसे कबित्त आजकल कहाँ देखने को मिलते हैं.. बहुत बहुत प्यारी हैं यह शुभकामनाएँ!!

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  25. मन को छूते छंदों ने नवीन- वर्ष पर रस और आशीष की ऐसी वर्षा कर दी कि रिमझिम फुहारों में तन-मन सराबोर हो गया.

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  26. मन को छू गए,आपके खुबशुरत छंद,..सुंदर पोस्ट

    WELCOME to new post--जिन्दगीं--

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  27. बहुत मोहक छंद ... नव वर्ष की शुभकामनायें

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  28. बहुत सुंदर रचना...नव वर्ष की मंगलकामनाएँ

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  29. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
    बहुत ख़ूबसूरत रचना !

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  30. आज के इस दौर में आपकी रचना ह्रदय पर ठंडी बौछारों सी प्रतीत होती है .... बहुत ही सुन्दर रचना है .... आभार.

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  31. रक्त की बात करौ न सखा , यहि वर्ष कै चाँद भलो अति न्यारो |
    जरदारी गिलानी कियानी सबै, मिटि जावहिं आपन पाप के भारो||


    सम्यक सन्दर्भों को समेटे आपकी यह रचना निश्चित रूप से प्रासंगिक है ....बहुत दिनों बाद छंद युक्त रचना और वह भी अवधी में .....वाह क्या बात है ......!

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