तीखी कलम से

सोमवार, 16 जनवरी 2012

मेरा भारत महान है .

देश की बहुरंगी आकृति .                                              
निरूपति करती है हमारी संस्कृति .                                
हमारी सभ्यता,                                                                 
 विश्व की श्रेष्ठ सभ्यताओं में से एक है .            
हमारी भाषा वेश भूषा ,
सब कुछ अनेक है .
अनेकता में एकता है .
यही तो विशेषता है .
गत वर्षों में हमने ,
अनेक सभ्यताओं व संस्कृति का विकास किया है .
इस दर से किसी देश ने ,
कहाँ सभ्यता का विकास किया है ?
हमारे प्राचीन परिवेश बदल चुके हैं .
हम नूतन मौलिकता में प्रखर हो चुके हैं .
हमारी चेतना संयुक्त के बजाय ,
एकाकी जीवन की ओर उन्मुख है .
आधुनिकता का धरातल हमारे सन्मुख है .
संवेदनशीलता ...
हमारी  प्रगति में बाधक है .
देश की उन्नति में अवरोधक है .
संवेदनाओं को हमने ,
धुएं में उड़ना सीख लिया है .
हो रही किसानों की आत्म हत्त्याओं पर ,
मुस्कुराना सीख लिया है .
हमने सीख लिया है ,
बहू बेटियों को जलाना.
शोषण के सेज पर नारियों को लिटाना .
संस्कारों के क्षेत्र  में हमने ,
अभूत पूर्व परिवर्तन किया है .
बूढ़े माँ बाप को दूर किया है .
अब वे हमें अनावश्यक  भार लगते हैं .
इसलिए उन्हें घर के बजाय आश्रम में रखते हैं .
जाति धर्म की विलुप्तप्राय खाइयों का ,
 जीर्नोध्वार किया है .
धर्म निरपेक्षता पर भी करारा वार किया है .
भ्रष्टाचार का आधुनिकतम रूप ,
हमारा नया अनुसंधान है .
हमारी नयी तकनीक से पूरा विश्व हैरान है .
आनर किलिंग का पेटेंट कराने का हमें ,
पूरा अधिकार है .
क्यों की यह
हमारे तुच्छ जनमानस को स्वीकार है .
हमारी तकनीक से जाँच एजेंसियों को ,
सुबूत नहीं मिलता है .
इससे हमारी योग्यता को बल मिलता है .
हम आतंक वाद उग्रवाद नक्सलवाद को ,
हासिल कर चुके हैं .
अदभुद राष्ट्र भावना के अंतर्राष्ट्रीय पुरष्कारों की दौड़ ,
में शामिल हों चुके हैं .
जाति वाद क्षेत्रवाद की भावना को ,
विकृत रूप दिया जाये .
थोडा सा जहर और घोल दिया जाये .
तो सम्भव है .......
गिरी राष्ट्र भावना का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार ,
तुम्हारा देश पा जाये .
इक्कीसवीं सदी का प्रथम चरण .
प्रगति का हो चुका है अनावरण .
हर तरफ घोटालों का भरमार .
टूट रहा अर्थ शक्ति द्वार .
अपराध जगत के चक्रवात में ,
जन नायकों का योगदान है .
सोचो .....................
कितना सुरक्षित देश का स्वाभिमान है ?
शदी के प्रथम चरण का ,
यही सोपान है .
मानवता की अवनति ,
संवेदनाओं का बलिदान है .
जी हाँ तुम गर्व से कहो ..........
और खूब कहो ......
मेरा भारत महान है .
मेरा भारत महान है .

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  2. इसमें कोई शक नही है की इतनी विषमताओं के बाद भी मेरा भारत महान है !!
    इसकी संसति में जैसे लड़कर जीने की अजब कला है !! पर विडम्बना आज यही है की ये कला ही हमारा गला घोट रही है !!

    महोदय आपकी रचना में बड़ी सहजता और सुन्दरता से एक सुसंस्कारित राष्ट्र का आपने मूल्यों से दूर होने पर ...अपनी पहचान को खोते बताया है !!

    बहुत ही गहन संश्लेषण हमेशा की तरह ! बहुत बहुत बधाईया !!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरा भारत महान है .
    मेरा भारत महान है .

    देश प्रेम से ललक है आप में.

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी कविता में देश की वर्तमान दशा-दुर्दशा का विस्तृत चित्रण है।
    आत्म अवलोकन के लिए प्रेरित करती अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुती! बढ़िया लगा!

    जवाब देंहटाएं
  7. कितना सुरक्षित देश का स्वाभिमान है ?... यही तो अहम् प्रश्न है - बहुत ही बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  8. देश की वर्तमान दशा को सुन्दर तरीके से चित्रित करती रचना !
    बहुत सुन्दर !
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. देश की वर्तमान स्थिति का चित्रण करने में सफल है यह कविता|

    जवाब देंहटाएं
  10. desh ke dukh ko mahsuskarne wala hi aisi rachna likh sakta hai....umda rachna ke liye bdhai....

    जवाब देंहटाएं
  11. ब्लॉग पर आगमन और समर्थन प्रदान करने के लिए बहुत- बहुत आभार, यह स्नेह सम्बन्ध अनवरत रहेगा,यही अपेक्षा है.

    बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, बधाई.
    /

    जवाब देंहटाएं
  12. इतना सब कुछ कहाँ मिलेगा? इतनी विविधता, गहन संस्कृति की बीसियों सदियाँ, आगे आना तय है...

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छे से बुरे के बीच घूमती ये पोस्ट लाजवाब है |

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  15. bahut uttam vyangatmak prastuti.aaj ko darpan dikhati hui behtreen rachna.

    जवाब देंहटाएं
  16. bahut uttam vyangatmak prastuti.aaj ko darpan dikhati hui behtreen rachna.

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ही तीखा प्रहार किया हैं आपने हमारी बदलती हुई संस्कृति और विचारों पर...

    मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हूँ.....

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बढ़िया..सोचने पर मजबूर करती रचना..
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  19. आज के हालात दर्शाती सार्थक रचना !
    आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  20. तीखा प्रहार, बहुत सुंदर सार्थक रचना ,बेहतरीन प्रस्तुति,......
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई
    समर्थक बन रहा हूँ आप भी बने खुशी होगी,...आभार

    जवाब देंहटाएं
  21. आपकी कविता में सब कुछ पढ़ने को मिला ....रिश्ते ,एकल परिवार ...संयुक्त परिवार कि अहमियत ,इस देश इस बाते ....सब कुछ पढ़ने को मिला ....बहुत उम्दा

    जवाब देंहटाएं
  22. bahut hi achchhi tarah desh ki har un samasyaaon ka jikra hai jisase hum aahat hain, shubhkaamnaayen.

    जवाब देंहटाएं
  23. कितना सुरक्षित देश का स्वाभिमान है ?yahi to samajh nahin aata.....

    जवाब देंहटाएं
  24. तीखा प्रहार बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत सुंदर सार्थक रचना .
    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  26. Hi there to every body, it's my first pay a quick visit of this blog; this weblog contains amazing and truly good information in support of visitors.

    Feel free to surf to my blog :: homepage

    जवाब देंहटाएं
  27. I think that is among the such a lot significant info for me.
    And i am satisfied studying your article. However wanna remark on few common issues,
    The site style is ideal, the articles is really nice
    : D. Excellent job, cheers

    Feel free to surf to my weblog: cams

    जवाब देंहटाएं