आयुध निर्माणी कानपुर में आयुध निर्माणी दिवस पर आयोजित कविसम्मेलन में मेरे द्वारा पढ़ी गयी रचनाओं के कुछ खास अंश
गुणवत्ता एवम संरक्षा को समर्पित
छंद
आयुध निर्माणी के ही दिवस के संग संग ,देश में प्रगति की मशाल जलवाइए |
गुणवत्ता क्रांति के सपथ को ग्रहण कर ,अस्त्र शस्त्र श्रेष्ठता की शान बन जाइए ||
रूश व अमेरिका भी दौड़ पड़ें शस्त्र हेतु ऐसे हथियारों को भी देश में सजाइए |
विश्व में प्रथम शक्ति बनने से पहले ही आयुधों का विश्व में बाजार बन जाइए ||
अनमोल शक्ति का प्रतीक परमाणु शक्ति ऐसी शक्ति धारण का पात्र बन जाइए |
परमाणु विद्युत् घरों की ही सुरक्षा में, सारे मापदण्डों की समीक्षा करवाइए ||
तिल तिल जल गया आज है जापान जैसे ऐसे हिंदुस्तान को कदापि ना बनाइये |
भारत प्रगति में सुरक्षा का धयान रहे , एक बार देश का भरोस ना गावाइये||
मुक्तक
आयुध के कर्ण धारों का करवा रुक नहीं सकता |
यहाँ उत्थान का दीपक कभी भी बुझ नहीं सकता ||
जान देकर करेंगें हर जरूरत देश की पूरी |
ये भारत का तिरंगा है कभी भी झुक नहीं सकता ||
आयुधों का चमन फिर से गुले गुलजार हो जाये |
देश ये आयुधों का इक नया बाजार बन जाये ||
यहाँ जज्बा है मजदूरों में तश्वीरे बदलने की |
ये लहरें हौसलों की हैं मंजिले पार कर जाएँ ||
सुरक्षा राष्ट्र की खातिर भरोसा आज है तुम पर |
शरहदों के जवानों को भी अब तो नाज है तुम पर ||
बढ़ाना देश की खातिर है तुमको आज उत्पादन |
सिपाही आयुधों के तुम देश को नाज है तुम पर ||
यह मुक्तक चीन की चेतावनी पर लिखा गया
तुम्हारी हर नियतसे हम भी वाकिफ हो चुके हैं अब |
शस्त्र मेरे तेरी खिदमद में वाजिब बन चुके हैं अब ||
यहाँ कश्मीर अरुणांचल पर गर नजरें उठी तेरी |
समझ लेना प्रलय के दिन मुनासिब हो चुके हैं अब ||
नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||
शरहदों पर शालामत की दुआ उसने जो की होगी |
किसी प्रीतम के ख्वाबों में नीद उसकी उडी होगी ||
खबर क्या थी तिरंगा ओढ़ के आयेंगे वो इक दिन |
देश की लाज की खातिर जिंदगी भर जली होगी ||
गुणवत्ता एवम संरक्षा को समर्पित
छंद
आयुध निर्माणी के ही दिवस के संग संग ,देश में प्रगति की मशाल जलवाइए |
गुणवत्ता क्रांति के सपथ को ग्रहण कर ,अस्त्र शस्त्र श्रेष्ठता की शान बन जाइए ||
रूश व अमेरिका भी दौड़ पड़ें शस्त्र हेतु ऐसे हथियारों को भी देश में सजाइए |
विश्व में प्रथम शक्ति बनने से पहले ही आयुधों का विश्व में बाजार बन जाइए ||
अनमोल शक्ति का प्रतीक परमाणु शक्ति ऐसी शक्ति धारण का पात्र बन जाइए |
परमाणु विद्युत् घरों की ही सुरक्षा में, सारे मापदण्डों की समीक्षा करवाइए ||
तिल तिल जल गया आज है जापान जैसे ऐसे हिंदुस्तान को कदापि ना बनाइये |
भारत प्रगति में सुरक्षा का धयान रहे , एक बार देश का भरोस ना गावाइये||
मुक्तक
आयुध के कर्ण धारों का करवा रुक नहीं सकता |
यहाँ उत्थान का दीपक कभी भी बुझ नहीं सकता ||
जान देकर करेंगें हर जरूरत देश की पूरी |
ये भारत का तिरंगा है कभी भी झुक नहीं सकता ||
आयुधों का चमन फिर से गुले गुलजार हो जाये |
देश ये आयुधों का इक नया बाजार बन जाये ||
यहाँ जज्बा है मजदूरों में तश्वीरे बदलने की |
ये लहरें हौसलों की हैं मंजिले पार कर जाएँ ||
सुरक्षा राष्ट्र की खातिर भरोसा आज है तुम पर |
शरहदों के जवानों को भी अब तो नाज है तुम पर ||
बढ़ाना देश की खातिर है तुमको आज उत्पादन |
सिपाही आयुधों के तुम देश को नाज है तुम पर ||
यह मुक्तक चीन की चेतावनी पर लिखा गया
तुम्हारी हर नियतसे हम भी वाकिफ हो चुके हैं अब |
शस्त्र मेरे तेरी खिदमद में वाजिब बन चुके हैं अब ||
यहाँ कश्मीर अरुणांचल पर गर नजरें उठी तेरी |
समझ लेना प्रलय के दिन मुनासिब हो चुके हैं अब ||
नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||
शरहदों पर शालामत की दुआ उसने जो की होगी |
किसी प्रीतम के ख्वाबों में नीद उसकी उडी होगी ||
खबर क्या थी तिरंगा ओढ़ के आयेंगे वो इक दिन |
देश की लाज की खातिर जिंदगी भर जली होगी ||