तीखी कलम से

सोमवार, 19 मार्च 2012

आयुध निर्माणी दिवस

आयुध निर्माणी कानपुर में आयुध निर्माणी दिवस पर आयोजित कविसम्मेलन में मेरे द्वारा पढ़ी गयी रचनाओं  के कुछ खास अंश 




            गुणवत्ता एवम संरक्षा को समर्पित   
                           छंद

आयुध निर्माणी के ही दिवस के संग संग ,देश में प्रगति की मशाल जलवाइए |
गुणवत्ता क्रांति के सपथ को ग्रहण कर ,अस्त्र शस्त्र श्रेष्ठता की शान बन जाइए ||
रूश व अमेरिका भी दौड़  पड़ें शस्त्र हेतु ऐसे  हथियारों को  भी देश में सजाइए |
विश्व में प्रथम शक्ति बनने से पहले ही  आयुधों का विश्व  में बाजार  बन जाइए ||

अनमोल शक्ति का प्रतीक परमाणु शक्ति ऐसी शक्ति धारण का पात्र बन  जाइए |
परमाणु विद्युत् घरों की ही सुरक्षा में, सारे   मापदण्डों  की  समीक्षा  करवाइए ||
तिल तिल जल गया आज है जापान जैसे ऐसे हिंदुस्तान को कदापि ना बनाइये |
भारत  प्रगति  में सुरक्षा का धयान रहे , एक  बार  देश का भरोस  ना  गावाइये||

                 मुक्तक

आयुध के कर्ण धारों  का करवा  रुक नहीं सकता |
यहाँ उत्थान का दीपक कभी भी बुझ नहीं सकता ||
जान   देकर  करेंगें  हर   जरूरत   देश  की   पूरी |
ये भारत का तिरंगा है कभी भी झुक नहीं सकता ||

आयुधों  का चमन  फिर से गुले गुलजार हो जाये |
देश  ये  आयुधों  का इक नया  बाजार  बन  जाये ||
यहाँ  जज्बा  है  मजदूरों   में  तश्वीरे   बदलने  की |
ये  लहरें  हौसलों  की  हैं  मंजिले  पार  कर  जाएँ ||

सुरक्षा राष्ट्र की  खातिर  भरोसा  आज  है तुम  पर |

शरहदों के जवानों को भी अब तो नाज है तुम पर ||
बढ़ाना देश की खातिर है  तुमको  आज  उत्पादन |
सिपाही आयुधों  के तुम देश को नाज है  तुम  पर ||

यह मुक्तक चीन की चेतावनी पर लिखा गया

तुम्हारी हर नियतसे हम भी वाकिफ हो चुके हैं अब |
शस्त्र मेरे  तेरी खिदमद  में वाजिब बन चुके हैं अब ||
यहाँ कश्मीर  अरुणांचल पर  गर  नजरें  उठी तेरी |
समझ लेना प्रलय के दिन मुनासिब हो चुके हैं अब ||



नफरतें  मत करो इतना  की  कत्लेआम हो जाये |
हसरतें  हों  भी  कुछ  ऐसी  देश  के नाम हों जाएँ ||
कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
तेरे  जजबो  लहू  में  फिर  से हिंदुस्तान हो जाये ||



शरहदों पर शालामत की दुआ उसने जो की होगी |
किसी प्रीतम के ख्वाबों में नीद उसकी उडी होगी ||
खबर क्या थी तिरंगा ओढ़ के आयेंगे वो इक दिन |
देश की लाज की खातिर जिंदगी भर जली होगी ||

36 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!!

    नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
    हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
    कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
    तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||

    बहुत खूब...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह, अपने कार्यक्षेत्र पर लिखी उत्कृष्ट कविता।

    जवाब देंहटाएं
  3. रची उत्कृष्ट |
    चर्चा मंच की दृष्ट --
    पलटो पृष्ट ||

    बुधवारीय चर्चामंच
    charchamanch.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. आयुधों का चमन फिर से गुले गुलजार हो जाये |
    देश ये आयुधों का इक नया बाजार बन जाये ||
    यहाँ जज्बा है मजदूरों में तश्वीरे बदलने की |
    ये लहरें हौसलों की हैं मंजिले पार कर जाएँ ||...बेहतरीन भाव

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन! लाजवाब!!
    आयुध निर्माणी दिवस मुबारक हो!

    जवाब देंहटाएं
  6. कल 22/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  8. नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
    हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
    कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
    तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||

    ....बहुत सारगर्भित और ओजपूर्ण मुक्तक...बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  9. नवीन जी, आपकी कविताओं कि धार भी तीखी है ..... ओज पूर्ण रचना!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही उम्दा कविता उत्कृष्ट लेखन.....

    जवाब देंहटाएं
  11. ओजस्वी रचना हेतु बधाई स्वीकारें

    जवाब देंहटाएं
  12. सुरक्षा राष्ट्र की खातिर भरोसा आज है तुम पर |
    शरहदों के जवानों को भी अब तो नाज है तुम पर ||
    बढ़ाना देश की खातिर है तुमको आज उत्पादन |
    सिपाही आयुधों के तुम देश को नाज है तुम पर ...

    ओज़स्वी ... प्राणों का संचार करती बहुत ही सुन्दर रचना ... बहुत बहुत बधाई इस प्रभावशाली रचना पे ...

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर छंदों व मुक्तक की बेहतरीन रचना कर आयुध निर्माण दिवस को सार्थक कर दिया, वाह !!!!!!!!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  14. नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
    हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
    कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
    तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||

    वाह वाह......
    तीखी कलम की तीखी आवाज़....

    ये आवाज़ बनी रहे ......

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
    नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
    आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
    मेरी एक नई मेरा बचपन
    कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
    दिनेश पारीक

    जवाब देंहटाएं
  16. तुम्हारी हर नियतसे हम भी वाकिफ हो चुके हैं अब |
    शस्त्र मेरे तेरी खिदमद में वाजिब बन चुके हैं अब ||
    यहाँ कश्मीर अरुणांचल पर गर नजरें उठी तेरी |
    समझ लेना प्रलय के दिन मुनासिब हो चुके हैं अब ||
    राष्ट्र प्रेम से संसिक्त ओज पूर्ण रचना .

    जवाब देंहटाएं
  17. नफरतें मत करो इतना की कत्लेआम हो जाये |
    हसरतें हों भी कुछ ऐसी देश के नाम हों जाएँ ||
    कफ़न लिपटे तिरंगे का वतन की शान की खातिर |
    तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||
    bahut sarthak rachna badhai...

    जवाब देंहटाएं
  18. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html

    जवाब देंहटाएं
  19. bahut sundar sashakt kavita aur chhand naveen ji bahut dino baad aana hua blog par maafi chahti hoon.

    जवाब देंहटाएं
  20. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    ....... वाकई तीखी कलम की तीखी आवाज़ रचना के लिए बधाई स्वीकारें !!!!

    जवाब देंहटाएं