तीखी कलम से

शनिवार, 25 अगस्त 2012

दो कवितायेँ

     शान्ति
वह मिलती है क्या ?
अरबों रुपयों के गोल मॉल में ,?
उद्योगपतियों  के 

वैभवशाली परिवार में ?
दूरदर्शन पर प्रायोजित 

महत्माओं की दूकान में ?
शायद वह वहाँ   नहीं |
गलत है तलाश की दिशा !
अनंत अंधकार युक्त निशा |
तुम्हारी असंख्य इच्छाओं ने ,
जीवन की कुटिल धाराओं में |
कार कोठी बंगला ,
जिसे चाहा दिल से पुकारा |
वह सब कुछ मिल गया |
कामनाओं का कमल खिल गया |
.......तुमने !
एक बार भी उसे नहीं पुकारा !
......असीम
आनंद का कलश लिए
तुम्हारी निकटता पाने के लिए
बेचैन .......
प्रतीक्षारत नैन .....
उसकी ओर अपना मुँह 

फेरो तो सही |
उसकी भावनाओं को 
समझो तो सही |
लेकर जीवन के 
नव सृजन के कांति ,
मिलेगी तुम्हे
 मिलन की व्याकुलता लिए ,
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति ||
 

           प्रतीक्षा




चिर परिचित आँखें
अब वे धंस चुकी हैं
उनके गुलाबी होठों की लालिमा
अब बदल चुकी है |
काली कालिमा में
तेजहीन आकृति ,
और झुलसा रही हैं उसे
पश्चाताप की अग्नि |
एक गलती ....................
एच आई वी की एंट्री
विवश हो गयी अब
उत्सुकता के साथ साथ
अंत की प्रतीक्षा ||

        नवीन 

       

शनिवार, 11 अगस्त 2012

स्वतंत्रता दिवस

आज हम देश में ,
६५ वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं |
आजाद हिंद को दिल से सजा रहे हैं |
बड़े गर्व से अपना सर ,
ऊंचा उठा रहे हैं |
आज के दिन ,
हम खूब याद करते हैं ,
आपने देश के बलिदानियों का बलिदान |
बलिदानों से जीवित है हमारा सम्मान |
याद है हमें ,
राजगुरु भगत सिंह
और बिस्मिल की फासी |
आजाद का स्वभिमान
और वीरांगना रानी झाँसी ||
असंख्य देश भक्तों की क़ुरबानी |
गाँधी के सत्याग्रह की
वह अमिट निशानी |
बलिदानियों से भरा पड़ा
हमारे देश के  स्वतंत्रता का इतिहास |
लाखों कुर्बानियां और लाखों उपवास |
एक बेमिशाल
देश भक्ति का जज्बा |
आजाद कर गया देश का हर कुनबा |
पर आज !
हम खो रहे हैं उस महा शक्ति का ताज |
हम तोड़ रहे हैं भारतीयता की लाज |
आज देश का गरीब ,
अस्पताल की चौखट पर
सर पटक पटक कर मर जाता है |
पर हमारा यह तंत्र
उस जीवन दायनी दवा को ही हजम कर जाता है |
आज आसाम में द्रौपदी की तरह ,
हमारी बहनों का चीर हरण होता है |
और आज का आजाद भारतीय ,
बिना किसी आन्दोलन के न्यूज के चटखारे लेता है|
देश में स्पेक्ट्रम का अवैध सौदा |
भारतीय जन मानस को भरपूर रौदा |
खेलों में फर्जी बिलों का मुद्दा  |
ये है हमारी स्वतंत्रता का धब्बा |
आज स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद ,
हमने ऐतिहासिक प्रगति किया है |
घोटालों में उन्नति
विश्व स्तर पर किया है |
आज के स्वतंत्र भारत में सब कुछ बिकता है |
अन्याय का दीपक खुले आम जलता है |
हम मौन हैं ,
हम लाचार हैं|
हम विवश हैं ,
हम बीमार हैं |
ध्वस्त  हो चुकी है
हमारी अन्याय से लड़ने की शक्ति |
विलुप हो गयी है
आजादी से पहले की देश भक्ति ||
कम से कम
आज तो जाग जाओ ,|
स्वतंत्र होने के दायित्वों को
समझ जाओ |
इस से पहले तुम्हारा देश
घोटालों और भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाये !
देश से बलिदानियों का इतिहास धुल जाये |
तुम्हे इस देश को बचाना होगा |
हर दिल में बन्दे मातरम का जज्बा जगाना होगा |
और इस तिरंगे को
देश के हर घर में फहराना होगा |
देश के हर घर में फहराना होगा ||
देश के हर घर में फहराना होगा ||
           जय हिंद