तेरी तारीफ में उसने क्या कह दिया ।
वह तो खामोश सबकी जुबां कर दिया ॥
मयकशी की भी चर्चा हुई जब कभी ।
तेरे पैमाने को , मयकदा कह दिया ॥
एक उलझी हुई सी , कथा पढ़ लिया ।
मन के सपनों की सारी, व्यथा पढ़ लिया ॥
उसकी जज्बात लिखने , कलम जब चली ।
सोच कर कुछ मुझे, अन्यथा कह दिया ॥
जिक्र चिलमन की महफ़िल में क्यूं कर दिया ।
चाँद को बादलों ने , छिपा फिर लिया ॥
दर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
एक मुद्दत से जलता , रहा वह दिया ।
रोशनी से मोहब्बत , बयाँ कर दिया ॥
नूर आँखों का भी , आज शरमा गया ।
बे हिचक तुमने जब, बेवफा कह दिया ॥
एक सहमी नजर को, हया कह दिया ।
मैंने कातिल को अहले फिजा कह दिया ॥
जुल्फे लहरायीं जब, क़त्ल की चाह में ।
मैंने रुखसत चमन अलविदा कह दिया ॥