आयुध निर्माणी दिवस २०१४ को पढ़ी गयीं कुछ रचनाएं मुक्तक और छंद में -
मुक्तक
ये दीप आयुधों का जलाते रहेंगे हम ।
मजदूर बनके देश बचाते रहेंगे हम ॥
हमको भी वक्त का ये तकाजा कबूल है ।
शरहद पे नए शास्त्र सजाते रहेंगे हम ॥
गीता पढ़ो या फिर पढ़ो आयत कुरान की ।
इंसानियत की राह दिखाती ईमान की ॥
कातिल सियासतों से मुल्क को बचाइये ।
दरके न कोई ईंट अमन के मकान की ॥
तुम्हारी चाल पे नजरें गड़ाए बैठे हैं ।
तोप कि नोक पे तुमको सजाये बैठे हैं ॥
तुम भरोसे के ना काबिल न कभी थे पहले।
सबक के वास्ते बम को बनाये बैठे हैं ॥
छंद
विश्व में समानता न कर पाये कोई देश ,ऐसे गुणवत्ता पूर्ण शस्त्र को सजाइये ।
शक्ति उत्पादन न क्षीण होने पाये कभी ,हौसलों के दीप से दिवस को मनाइये ॥
आयुध निर्माणी का पताका हो बुलंद अब ,विश्व के बाजार में तिरंगा फहराइये ।
शपथ निभाना उत्पादन के प्रहरी हो , स्वाभिमानी राष्ट्र भक्त बनके दिखाइये ॥
उन्नति के पथ पर विश्व कि प्रथम शक्ति जैसी भाव भंगिमा शबाब मागता है देश ।
देश कि सुरक्षा से खेल जो भी करते हैं ,ऐसे देश द्रोही का नकाब मागता है देश ॥
युद्ध पॉत जलने लगे हैं आज रोज ,भ्रष्ट कार्य शैली का जबाब मागता है देश ॥
रक्त व पसीने कि कमाई देश वासियों की जल में डुबोने का हिसाब मागता है देश ॥
आयुध आभाव जब देश की विडम्बना हो खंड खंड राष्ट्र की अखंडता भी होती है ।
कर्णधार आयुधों प्रहरी तो राष्ट्र के हो, सेवा स्वाभिमान कि प्रचंडता सजोती है ॥
लक्ष्य उत्पादन विशाल गुणवत्तापूर्ण, ड्रेगन कि धूर्तता उदंडता को खोती है ।
लाज देश की बचाना आयुधों के कर्णधार , भारती माँ तुमपे घमंडता से जीती है ॥
नवीन मणि त्रिपाठी
आयुध निर्माणी कानपुर