तीखी कलम से

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

हे मोम बत्तियां जलाने वाले

हे मोम बत्तियां जलाने वाले 
शांति प्रिय भारतीय 
नमन है तुम्हारी सहन शीलता पर
पाक के दर्द में विलीनता पर 
तुम सचमुच में महान हो 
तुम्हारा नोबल से सम्मान हो 
तुम्हारी इन्ही संवेदनाओं से 
देश में तेज उजाला होता है ।
बमो का धमाका होता है ।
लाखो हिंदुस्तानियो के हत्यारों के लिए 
तुम्हारी संवेदनाये अनमोल हैं ।
तुम्हारी कृपा से देश में आतंक का 
मेलजोल है ।
तुम्हारी मोमबत्तिया तब नहीं जली 
जब देश में सैकड़ो बे गुनाह मुंबई में मरे ।
जब होटल ताज में लोग जले ।
जब तुम्हारे सैनिको के सर की नुमाइस लगी
जब तुम्हारे विमान को कंधार लाया गया ।
जब तुम्हारे संसद पर हमला हुआ 
जब देश के सैनिको की कारगिल में नृशंश 
हत्याएं हुई ।
और अब हाफिज की तैयारी 
बंद करो ये मानवतावादी दिखने का 
पाखंड ।
नहीं तो ये तुम्हारी देशनिरपेक्षता 
कर देगी  तुम्हारे ही देश को खंड खंड ।

         नवीन

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