तीखी कलम से

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

लोग चर्चा कर गए ये इश्क था उसका धरम

---***ग़ज़ल***---

जख़्म जिन्दा  हो  गए, जब से  हुआ  उनका  करम ।

तोड़  कर  वो  आ  गए,  मेरी   मुहब्बत   का  भरम।।

खैरियत  में   मांगता  था , मैं   दुआ   जिनके  लिए ।

वो  सजाएँ  लिख  गए , होना  मेरे सर  का  कलम।।

जब   कली   में   बन्द   भौरा,  मौत  से  था   रुबरु ।

लोग  चर्चा  कर   गए , ये  इश्क  था  उनका  धरम ।।

जिनका कातिल नाम, बख्सा है ज़माना अब तलक।

हम   हिमाकत  कर गए, हैं मांग  कर  उनका  रहम।।

ख्वाहिशों  की  जिद  ने  ढूढ़ा  आशनाई  का  चमन ।

ख़ाक में  मिलते गए ,फिर  मिट गया तन का जनम।।

इस  महल में  महफ़िलों की  शान था वह शख्स भी ।

ढ़ूढ़ते   ही   रह   गए ,   कैसे   जला   उसका  हरम ।।

 यूं  गुजरना  इस  गली  से  था  नहीं  वह  इत्तिफ़ाक ।

साजिशें   कर  के गए  ,  वो दिल   जलाने  का सनम।।

             -नवीन मणि त्रिपाठी

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