तीखी कलम से

शनिवार, 25 जुलाई 2015

बहुत तनहा हूँ मैं

बहुत   तन्हा   हूँ   मैं  ये   वक्त  कह   गया   हमसे।
पाल    बैठा    बड़ी    उम्मीद     बेवफा    तुमसे ।।

दोस्ती    आज   बे    नकाब   मेरी   महफ़िल    में ।
दीदार   फिर   से    वो   मेरा  करा   गया  गम  से ।।

फ़िक्र जिस जिस की मैं दिन रात किया करता था।
वही   खंजर  यहां   मुझपर  चला   गया  दम  से ।।

मेरे  नीलाम  की   बोली  में  वह  भी  हाजिर  था ।
मेरी  औकात   की  कीमत   लगा  गया  कम  से ।।

                 नवीन

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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