बात दिल की भी छुपाई न गई ।
जुबां से कुछ भी बताई न गई ।।
तड़प तड़प के जिंदगी गुजरी ।
यह हकीकत भी मिटाई न गयी ।
शिनाख्त इश्क गजल से तेरे ।
चिट्ठियां तुझसे जलाई न गई।।
नज़र नजर से मिल गई होगी ।
इक हसीं रात भुलाई न गयी ।
दर्द तेरा बयां है महफ़िल में ।
बात इतनी सी बताई न गयी ।।
इश्क तहजीब में है कैद कहाँ ।
दरमियाँ सच के दिखाई न गयी ।।
नवीन
जुबां से कुछ भी बताई न गई ।।
तड़प तड़प के जिंदगी गुजरी ।
यह हकीकत भी मिटाई न गयी ।
शिनाख्त इश्क गजल से तेरे ।
चिट्ठियां तुझसे जलाई न गई।।
नज़र नजर से मिल गई होगी ।
इक हसीं रात भुलाई न गयी ।
दर्द तेरा बयां है महफ़िल में ।
बात इतनी सी बताई न गयी ।।
इश्क तहजीब में है कैद कहाँ ।
दरमियाँ सच के दिखाई न गयी ।।
नवीन