तीखी कलम से

गुरुवार, 26 मई 2016

चिट्ठियां तुझसे जलाई न गयी

बात दिल की भी छुपाई न गई ।
जुबां से कुछ भी बताई न गई ।।

तड़प तड़प के जिंदगी गुजरी ।
यह हकीकत भी मिटाई न गयी ।

शिनाख्त  इश्क  गजल  से  तेरे ।
चिट्ठियां  तुझसे  जलाई  न गई।।

नज़र नजर से मिल गई  होगी ।
इक  हसीं रात भुलाई  न गयी ।

दर्द  तेरा  बयां  है महफ़िल  में ।
बात  इतनी  सी बताई न गयी ।।

इश्क तहजीब  में  है  कैद  कहाँ ।
दरमियाँ सच के दिखाई न गयी ।।

       नवीन

1 टिप्पणी: