तीखी कलम से

सोमवार, 6 जून 2016

गजल

लिखी ग़ज़ल है  वो मेरी  कहानियां  लेकर ।
जुदा हुई थी जो  हमसे  निशानियाँ  लेकर ।।

बेवफा  कहके  मुकद्दर  जला  दिया  जिसने ।
 नज़र  आयी है जनाजे पे सिसिकियां लेकर।।

बड़ी उम्मीदआशियाँ की फकत थी जिससे ।
वही  नीलाम  की  निकले मुनादियाँ लेकर ।।

कुछ तबीयत मचल  गयी  तो बड़ा  हंगामा ।
हरम  में हूर  मिलीं  जब  जवानियाँ लेकर ।।

जाम  शब् भर  चले  होंगे  सबूत  हासिल है।
नई शबनम  है नजर  में  खुमारियां  लेकर ।।

दे  सकी  एक तबस्सुम न  लबो पर उसके ।
जिंदगी  जिसने  गुजारी  उदासियां  लेकर ।।

          नवीन मणि त्रिपाठी

      नवीन

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