तीखी कलम से

रविवार, 24 जुलाई 2016

महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाज़त की बात कर

इज्जत की बात कर न सियासत की बात कर । 
महफ़ूज़ रहे मुल्क  हिफ़ाजत  की  बात  कर ।।

तहजीब  के  कातिल  हुए  बेख़ौफ़  बदजुबाँ ।
उम्मीद  में न  इनसे शराफ़त  की  बात  कर ।।

अब तो सही गलत पे है चरचा फिजूल  सब ।
कैसे  लगी  है आग हिमाकत  की  बात कर ।।

मथुरा   के   गुनहगार  भी  शरीफ   हो   गए ।
उनसे मिली जो आज हिदायत की बात कर ।।

बेटों   के  नाम   कुर्सियाँ   आबाद   हो  रहीं ।
अब तो जम्हूरियत में वसीयत की बात कर ।।

माँ  बेटियों  के  दर्द  से  वाकिफ कहाँ  है वो ।
ऐसे  दुशासनो  से  सलामत  की  बात  कर ।।

कुछ  भूत  भागते  नही   हैं  बात   से  कभी ।
थोड़ी अकल के साथ कहावत की बात कर ।।

जिन्दा   रहे   न   कोई   दरिन्दा   जहान   में ।
आते  चुनाव  में  तू  हजामत  की  बात कर ।।

नागन है इक  तरफ  तो नाग  कुर्सियो  पे है ।
लेकर खुदा का नाम रियासत की बात  कर ।।

वर्षों  से  लुट  रहा  है  यहां  आम  आदमी ।
अपनी दुआ में साफ़ हुकूमत की  बात  कर ।।

                  ---  नवीन मणि त्रिपाठी

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