तीखी कलम से

मंगलवार, 28 मार्च 2017

ग़ज़ल - रिश्ता शायद दिल का होगा

22 22 22 22 
मुद्दत   से   वह   ठहरा   होगा ।
रिश्ता शायद  दिल का  होगा ।।

सच  कहना   था  गैर  ज़रूरी ।
छुप छुप कर  वह रोता  होगा ।।

ढूढ़  रहा   है  तुझको आशिक।
नाम   गली   में   पूछा  होगा ।।

इल्म कहाँ  था  इतना उसको ।
अपना   गाँव   पराया   होगा ।।

चेहरा    देगा   साफ़   गवाही।
जैसा   वक्त  बिताया   होगा ।।

दाग  मिलेगा  गौर  से   देखो ।
परदा   अगर  उठाया  होगा ।।

मैंने   उसको  याद   किया  है ।
खत उसका भी आता होगा ।।

यूँ  ही  कब   निकले  हैं आँसू ।
दर्द   उसे   भी   होता   होगा ।।

आँखें नम  दिखतीं  हैं  सबकी ।
गीत  हृदय   से   गाया  होगा ।।

 तेज  हवा  के  इन  झोकों  में ।          
इश्क   परिंदा    उड़ता   होगा ।।

 टूट    रहा   हूँ    रफ्ता  रफ्ता ।            
 वह भी अब  तक  रूठा होगा ।।

मिटने      वाली      बेचैनी    है।
चाँद  निकलकर  आता  होगा ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें