तीखी कलम से

रविवार, 16 अप्रैल 2017

ग़ज़ल हम प्यार निभाने आए हैं

221  1222  22  221  1222  22

कुछ  वक्त  खुदा  से माँगा  है  
जीने    के   बहाने   आए  हैं ।
हम   प्यार   निभाने  वाले  हैं 
हम  प्यार   निभाने  आए  हैं ।।

बदनाम न् कर दे  फिर कोई  
है पाक मुहब्बत  पर  पहरा ।
दुश्मन  हैं  बडे मगरूर  यहां  
तहज़ीब  सिखाने  आए  हैं ।।

चेहरे  पे  लटकती  हैं जुल्फें 
आँखों  में शरारत  होती  है ।
जो जख़्म सलामत हैं तुझसे 
वह जख्म  दिखाने  आए हैं ।।

आबाद   है  ये  गुलशन  तेरा 
आबाद   मिला   है  मैखाना ।
हैं   रिन्द  बहुत  प्यासे  प्यासे  
अब  ज़ाम  उठाने  आए   हैं ।।

ऐतबार  मुझे  भी  था तुझपर 
पर  यार  भरोसा   टूट  गया ।
जो  राज  छुपाया  था  तुमने  
वह   राज  बताने   आए   हैं ।।

ये   गर्म   हवाएं   साँसों    की , 
शम्मा को जला कर रख देंगी ।
हसरत  है  गजब परवानो  की 
वो   जान   गवाँने   आए   हैं ।।

है नाज़  तुझे  गर  हुस्न पे तो 
इतनी सी अना भी जायज है ।
बाज़ार    समझ कर   दीवाने  
क्यों   दाम   लगाने  आए हैं ।।

मैं  याद    तुझे   भी    आऊंगा  
इक  रात का  मेहमाँ  था  तेरा ।
ग़ज़लों के शबब गीतों का महक 
हम   छोड़   तराने   आए   हैं ।।

मशहूर   हुए   हैं  दर्दो    सितम 
मशहूर   हुआ   दीवाना    पन ।
ऐ  इश्क़   हिफाजत    में   तेरे  
क्या क्या वो  ज़माने  आए  हैं ।।

                ---नवीन मणि त्रिपाठी 


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