तीखी कलम से

शनिवार, 29 जुलाई 2017

हौसला फिर कोई बड़ा रखिये

2122 1212 22

हौसला  फिर  कोई   बड़ा  रखिये ।
खुद के  होने  की इत्तला  रखिये ।।

बन्द  मत   कीजिये  दरीचों  को ।
इन हवाओं का सिलसिला रखिये ।।

हार   जाएं   न   कोशिशें    मेरी ।
मेरे खातिर भी कुछ दुआ रखिये ।।

खो  न  जाऊं  कहीं  जमाने  में ।
हाल क्या  है  जरा  पता रखिये ।।

दुश्मनी  खूब   कीजिये  लेकिन ।
दिल से जुड़ने का रास्ता रखिये ।।

गर जमाने  के  साथ है  चलना ।
मुज़रिमों से भी वास्ता  रखिये ।।

लोग   मिलते  यहां  नकाबों  में ।
कुछ हक़ीक़त यहां छुपा रखिये ।।

जिंदगी   में   सुकूँ   ज़रूरी    है ।
आसमां सर पे मत उठा रखिये ।।

है शुकूँ  की अगर  तलास बहुत ।
हुक्मरां से  भी लस्तगा  रखिये ।।

काम   बिगड़े  अगर  बनाने  हैं ।
तो खुशामद  का पैतरा  रखिये ।।

हो इजाज़त  तो आप से कह  दूं ।
पास अपने ये  मशबरा  रखिये ।।

बिक  गया  बाप  पढाकर  बेटा ।
काम  के  नाम  घुनघुना रखिये ।।

             नवीन मणि त्रिपाठी
            मौलिक अप्रकाशित

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें