तीखी कलम से

रविवार, 25 मार्च 2018

ग़ज़ल -क्या बता दूं कि उसने क्या पूछा

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मुझ से मेरा  ही  फ़लसफ़ा  पूछा ।
क्या बता दूँ कि उसने क्या पूछा ।।

डूब   जाने   की   आरजू   लेकर ।
उसने  दरिया   का   रास्ता  पूछा ।

देर  होनी  थी  हो   गयी  है  अब ।
वक्त   ने    मुझसे   वास्ता   पूछा ।

था  भरोसा   नहीं   मगर  मुझसे ।
मुद्दतों   बाद   वह   गिला   पूछा ।।

हिज्र   के   बाद   जी   रहे   कैसे ।
चाँद   ने   मेरा    हौसला    पूछा।।

सच की उसको  बड़ी  जरूरत  है ।
उसने  आते   ही  आइना  पूछा ।।

कह रहा था जो   दूरियां  ही  नहीं ।
आज वह दिल का फासला पूछा ।।

लोग    लुटते   है क्यूँ  मुहब्बत   में ।
राज  मुझसे  ये   ग़मज़दा  पूँछा ।।

दर्दे   दिल   था  उसे  मयस्सर  ही ।
कब   हकीमों  से  मसबरा  पूछा ।।

जख्म दिल में जो कर गया था मेरे।
हाल   वह   मेरा   बारहा   पूछा ।।

खूब   हैरत  हुई   मुझे   भी  तब ।
अपने  जब   मेरा   पता    पूँछा ।।

             नवीन मणि त्रिपाठी 
           मौलिक अप्रकाशित

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