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पता है बात ये शम्स ओ क़मर को ।
ये दुनिया तोलती है हर असर को ।।1
कोई दीवाना गुजरेगा यकीनन ।
सजा रक्खी है उसने रहगुज़र को ।।2
समुंदर सोच कर हैरान है ये ।
है साहिल की ज़रूरत क्यूँ लहर को ।।3
सनम की यह अदा है कातिलाना ।
झुका लेते हैं जब अपनी नज़र को ।।4
खुशी के पल को पर्दे में ही रखना ।
उड़ा देंगी हवाएं मुख़्तसर को ।।5
वो दुनिया छोड़ देना चाहते हैं ।
जिन्होंने पढ़ लिया यारो बसर को ।।6
न करिए जिंदगी से अब शिकायत ।
यूँ काटें मुस्कुराकर इस सफ़र को ।।7
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