तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

ग़ज़ल

 221 1222 221 1222


जब दिल में मुहब्बत की  शुरुआत  हुई होगी ।

तब आंखों से अश्कों की बरसात हुई होगी ।।1


वो याद किया होगा दो वक्त हमें हर दिन ।

जब शाम ढली होगी जब रात हुई होगी ।।2


माना कि जुबाँ  चुप थी जुम्बिश लबों पे ठहरी ।

पर दिल से तेरे दिल की कुछ बात हुई होगी ।।3


खामोश परिंदों  का समझो ये इशारा है ।

जीने की तमन्ना की फिर मात हुई होगी ।।4


उजड़ा सा चमन शायद कहता है हक़ीक़त ये ।

गुलशन में तेरे नफ़रत इफ़रात हुई होगी ।।5


भर देगा ख़ुदा इक दिन झोली को दुआओं से ।

दौलत जो तेरे घर से ख़ैरात हुई होगी ।।6


मुमकिन  कहाँ  था छू ले  वो  चाँद  बुलन्दी का।

चाहत  की  उड़ानों  से  औकात  हुई  होगी ।।


नोट-मतले में काफ़िया "शुरुआत" 221 लिया है । यह काफ़िया कुछ बड़े ग़ज़लकारों ने लिया है इसलिए मैंने भी ले लिया ।

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