तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन
कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

महिला आरक्षण

महिला आरक्षण


वह प्रतीक है,
किसी सभ्य समाज की .
वह पूजनीया है ,
भारतीयों के ताज की .
अर्धांग है,
भारतीय पुरषतत्व की .
शशांक है ,
मानवीय ममत्त्व की .
सबने देखा उसे ,
अन्तरिक्ष की सैर करते .
वायु यान उड़ाते जलयान चलाते.
गोलियां बरसाते देश पर कुर्बान होते .
हिंदुस्तान की बागडोर सँभालते .
सब कुछ बेहतर करने की क्षमता है .
फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता ,
चिल्ला चिल्ला कर कहती है ,
नारी का पुरषों से भला क्या समता है ?
* * * * * *

युगों युगों तक नारी को ,
कई तह पर्दों में लपेटा गया .
आपने स्वार्थ के लिए लोगों को परोसा गया .
उपभोग की बस्तु की उपमा दी गयी .
तो कहीं शोषण के मानचित्रों में .
अलंकृत की गयी .
धर्म के आडम्बर में ,
कहीं देवी तो ,तो कहीं माँ तो कहीं
बहन का सम्मान मिला .
यह सारा कपोल कल्पित कमल ,
खोखली सामाजिकता के आसपास ही खिला .
वर्षों से दबाया गया नारी जीवन को ,
शायद ...............
अब वे नहीं सहेंगी .
दृढ़ हो रहीं हैं भारतीय नारियां .
महिला आरक्षण ले के रहेंगीं .

* * * * * *

आज एक नर्सिंग होम में .
एक महिला आयी .
खुद को एक महिला डाक्टर को दिखाई .
डाक्टर मैडम ...
जाँच करके बताइए,
मेरे पेट में नर है या नारी ?
अगर नारी है ....... .
तो जन्म देना होगा भारी .
मुझे सिर्फ कुलदीपक चाहिए .
बंश परम्परा का द्द्योतक चाहिए .
तभी माँ के उदर से ,
निर्दोष बच्ची की बिलखती सी आवाज आयी .
माँ के फैसले से बच्ची अधिक तिलमिलाई .
ओ... मेरी ...इक्कीसवी शदी की माँ .........???
तुम तो नारी हो...... नारी की सोच ....
सिर्फ पार्लियामेंट में
बिल पास करवाने से क्या होगा ?
हमारी झोली में भी मानवता का अधिकार भर दे .
अगर पास करना है ..........
तो अपनी ही कोख में .......
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

पथिक तुझे आराम कहाँ है ?

चलता  जा  विश्राम  कहाँ  है ?
पथिक  तुझे  आराम कहाँ  है ?

                             नित  नव  प्रभात  की बेला में |
                             मिलते  हो  किसी  झमेला  में ||
                             खोते   हो   अविरल   रेला   में |
                             टूटे     हो    ठेलम    ठेला   में ||
                             माया    नगरी    के   मेला  में |
                             भटका  तू  आज   उजेला   में ||

इस अमिट  लेख  की पंक्ति में |
ढूंढो    पूर्ण    विराम   कहाँ   है ?

चलता  जा   विश्राम  कहाँ   है ?
पथिक  तुझे  आराम  कहाँ  है ?

     
                         अमिय    गरल   बन   जाता   है |
                         उद्गार    कहीं    खो   जाता   है ||
                         पथ  कंटक   मय   हो  जाता   है |
                          तब   हृदय  व्यथित हो जाता है ||
                          तेरा    स्वर    राग    सुनाता   है |
                          नव   पंथ   तुझे  मिल  जाता  है ||

मृग  मरीचिका से जीवन  में |
सुख के जल का नाम कहाँ है ?
चलता  जा  विश्राम  कहाँ  है ?
पथिक  तुझे आराम कहाँ  है ?

                            प्रति  क्षण  परिवर्तन शाश्वत है |
                            प्रति   पल   स्पंदन   जाग्रत  है ||
                            क्यों   आशंका   से   आहत   है |
                            इस  कर्म  योनि  का स्वागत है ||
                            मृत्यु   तो   स्वयं   निशावत  है |
                            चित  से  क्यों इसको ध्यावत है ||

इस  महा काल   के  प्रांगण  में |
सुबह   हुई  तो  शाम  कहाँ   है ?

 चलता   जा   विश्राम  कहाँ  है ?
पथिक  तुझे  आराम  कहाँ  है ?

                                    सब   अंधकार   मिट  जायेगा |
                                    चैतन्य   दीप   जल   जायेगा ||
                                    तू   मर्म   मार्ग    का   पायेगा |
                                    जब  ज्ञान  चक्षु  खुल  जायेगा ||
                                     पर  हित   साधन  हो  जायेगा |
                                     तब   साध्य मोक्ष बन जायेगा ||

मंदिर  मस्जिद  गिरिजा  घर में |
मिलता  तुझ  को  राम  कहाँ है ?
 चलता   जा  विश्राम  कहाँ   है ?
पथिक   तुझे  आराम  कहाँ   है ?

                                        तुम   प्रणय  बांसुरी   ले लेना |
                                        स्वर   भावुकता   के  पी लेना ||
                                        छोटा   है   जीवन   जी   लेना |
                                        मधुमयता   का   अमृत पीना ||
                                        संवेदन   हीन     नहीं     होना |
                                        हर   साँस  जिन्दगी की जीना ||

चिता  जल उठेगी  जब  तेरी |
इस  जीवन  का धाम वहाँ है ||

चलता  जा  विश्राम कहाँ  है ?
पथिक  तुझे  आराम कहाँ  है ?                       
 

शनिवार, 26 नवंबर 2011

बाल दिवस पर .....नेहरु चाचा तुझे नमन है

बाल   हृदय   में   वास   है तेरा | 
नैतिकता   का   पाठ   है  तेरा ||
देश    प्रेम  का   राग   है  तेरा |
भारत    से  अनुराग  है   तेरा ||

बाल  दिवस  के इस   अवसर  पर |
श्रद्धा   के   संग   दिया   सुमन है ||
नेहरु चाचा ......................|
नेहरु चाचा ......................||

हम    बच्चे   भोले    भाले    हैं  |
तेरे    स्वर   के    मतवाले    हैं ||
हम   नहीं   हृदय   के   काले हैं |
हम   भारत   के   रखवाले   हैं ||

राष्ट्र सृजन   के   नये   दीप पर |
न्यौछावर मेरा  तन   मन   है ||
नेहरु चाचा ......   ..............  |
नेहरु चाचा .........      ..........||



हम सपथ आप   की   लेते   हैं |
आगे   की प्रगति सजोते     है ||
हम   राष्ट्र   भावना   बुनते   हैं |
उन्नति   देश   हित   करते हैं ||

हम    नन्हें   प्रेम   प्रतीकों से |
बुझती कलुषित यहाँ तपन है ||
नेहरु चाचा .........................|
नेहरु चाचा .........................|


तुम    भारत   के    नेता  हो |
तुम    परतंत्र    विजेता   हो ||
 बच्चों   के   प्रेम  प्रणेता   हो |
इस  लोक  तन्त्र के वेत्ता  हो ||

राष्ट्र पुष्प  की इस   क्यारी से |
तेरा शत शत अभिनन्दन है ||
नेहरु  चाचा तुझे    नमन    है |
नेहरु  चाचा   तुझे    नमन है ||

चाइना से सावधान .... अपना तिरंगा तुम पेइचिंग गाड दो

नोच नोच खाने को तैयार बैठा ड्रैगन आज ,भारती के पूत तुम भारती को शान दो |
स्वाभिमान रोज रोज रौंद रहा चीन आज ,देश की अखंडता को फिर से  उकार दो ||
आँख जो उठा के देश की प्रचंडता को , अपना   तिरंगा  तुम    पेइचिंग में गाड दो |
छदम वेष धारी बन बैठा है नीच दुष्ट ,लालची  को  आज  तुम  शेर  सा  दहाड़   दो ||

कारगिल युद्ध का प्रणेता बन बैठा था वो, चोर जैसे मुखड़े  पे  जोर  सा   प्रहार   दो |
खिसियानी बिल्ली जैसा  आचरण  करता है खंड खंड कर के  घमंड  को सूधार  दो ||
ईर्ष्यालु देश  है  तुम्हारी  ही प्रगति  से  वो , अपनी  प्रगति  कर  उसको  उजाड़  दो |
लोक तंत्र बीज के ही  अस्त्र  से करो प्रहार ,चाइना के एक एक प्रान्त को भी फाड़ दो ||

छदम युद्ध कश्मीर में ही लड़ता रहा  वो  ,.ऐसे  धूर्त  वादियों को  विश्व  में  उछल  दो |
बाल भी ना बांका कर पाया है वहन पे आज,ऐसे नीच राष्ट्र को तुम हर की मिशाल दो ||
दृष्टि जो उठाये माता भारती की लाज पर, भीम बन दुशाशन की आँख भी निकल लो |
बन्दर जैसी घुड़की दिखाए किसी और को वो ,शक्ति देश हो तुम शक्ति का प्रमाण दो ||

ताना शाही देश का प्रतीक  बन  बैठा  है वह , विस्तारवादी की  प्रपंचना को काट दो |
सारे ही पड़ोसियों का शत्रु बन बैठा  है  वह ,कूटनीतिवादियों  के  पंख  को उखाड़ दो ||
परमाणु  बम  से  भी डरते  नहीं  हैं  हम  अग्नि  के  शोलों  का ना कोई इम्तहान लो |
राख हो भी जायेगा तुम्हारा राष्ट्र  याद रखो , भारतीय शक्ति को ना कोई शंखनाद दो ||

अग्नि परीक्षा है  आयुधों  के  पूत  आज ,आपने  जवान  को भी  शस्त्र विकराल   दो |
अपनी परम्परा को टूटने ना देना कभी , जज्बा  है  जीत  का  ये  इसको  मसाल दो ||
इतना बनना गोले राष्ट्र के लिए तुम आज बीजिंग जैसे शहर को गोलों  से  ही पट दो |
आयुध  निर्माणी  का पताका कर दो अमर ,आयुधों के पूत आज देश को सम्हाल लो ||

नव सृजन दीप बनना होगा (दोनों पुत्रों को समर्पित )

नव सृजन  दीप बनना होगा |
जीवन पथ पर चलना होगा ||


                            दो  अंकुर  ह्रदय   वाटिका   के |
                            पोषित   तुन  रक्त  कर्णिका के ||
                            तुम   हो  भविष्य  मेरे  घर   के |
                            सहयोगी   हो   जीवन   भर  के ||
                            तुम   मीत  रहोगे   पल  पल  के |
                            लाठी   हो   तुम   मेरे   कल  के ||


कर्मों  की  उच्य  श्रृंखला  से |
उर  अंधकार   हरना   होगा ||
नव सृजन दीप बनाना होगा |
जीवन पथ पर चलना होगा ||



                           जब व्यथित हृदय हो जाये कभी |
                           मन  की  क्यारी  मुरझाये  कभी ||
                          जब   तेज  रुग्ण  हो  जाये  कभी |
                          सांसों  का  स्वर  खो जाये  कभी ||
                          नीरसता   मन   में  छाये   कभी |
                          जब  राह  नहीं  मिल पाए कभी ||


उस पवन जगत  नियंता  से |
तब आत्म शक्ति भरना होगा ||
नव सृजन  दीप  बनना होगा |
जीवन  पथ  पर  चलना होगा ||


                            कुछ  कंटक   मय  पथ  आएंगे |
                            नित    अनुभव  नया   कराएँगे ||
                            कुछ   दृष्टिकोण  मिल   जायेंगे |
                            बल   आत्म   सदा  दे   जायेंगे ||
                            कल     के     प्रभात   लहरायेंगे |
                            तम   तुमको   छू   ना    पाएंगे ||


उन     संघर्षों    की   धारा   के |
प्रतिकूल   तुम्हें   बहना  होगा ||
नव   सृजन   दीप  बनना होगा |
जीवन   पथ  पर  चलना  होगा |


                             अभिलाषाओं    का   मान   रहे |
                             सुन्दर   कर्मों   का   ध्यान रहे ||
                             आध्यात्म    चेतना   ज्ञान  रहे |
                             मानवता    का    सम्मान   रहे ||
                             उत्कृष्ट     लक्ष्य    संज्ञान    रहे |
                             सर्वथा    दूर    मद    पान    रहे ||



चारित्रिक   मर्म   कसौटी    पर |
सोना   बन   कर   ढलना  होगा ||
नव   सृजन   दीप  बनना  होगा |
जीवन  पथ  पर   चलाना  होगा ||


                          यह सत्य यथावत निश्चित है |
                          जीवन मृत्यु चिर परिचित है ||
                         शंसय इसमें   ना  किंचित   है |
                         आत्मा तो उस  से  सिंचित है ||
                         वह भला कहाँ  कब  खंडित  है |
                         नव  जीवन  पुन:  सुनिश्चित है ||


मृत्यु     के    विश्रामालय     से |
नव  वस्त्र   पहन  चलना  होगा ||
नव  सृजन  दीप   बनना  होगा |
जीवन  पथ  पर   चलना  होगा ||
                                                    - नवीन

                            

बुधवार, 23 नवंबर 2011

मेरा भारत महान है

             मेरा भारत महान है

                                          नवीन मणि त्रिपाठी 
                                            जी १/२८ अर्मापुर इस्टेट
                                              कानपुर 09839626686

देश की बहुरंगी आकृति .                                              
निरूपति करती है हमारी संस्कृति .                                
हमारी सभ्यता,                                                                 
 विश्व की श्रेष्ठ सभ्यताओं में से एक है .            
हमारी भाषा वेश भूषा ,
सब कुछ अनेक है .
अनेकता में एकता है .
यही तो विशेषता है .
गत वर्षों में हमने ,
अनेक सभ्यताओं व संस्कृति का विकास किया है .
इस दर से किसी देश ने ,
कहाँ सभ्यता का विकास किया है ?
हमारे प्राचीन परिवेश बदल चुके हैं .
हम नूतन मौलिकता में प्रखर हो चुके हैं .
हमारी चेतना संयुक्त के बजाय ,
एकाकी जीवन की ओर उन्मुख है .
आधुनिकता का धरातल हमारे सन्मुख है .
संवेदनशीलता ...
हमारी  प्रगति में बाधक है .
देश की उन्नति में अवरोधक है .
संवेदनाओं को हमने ,
धुएं में उड़ना सीख लिया है .
हो रही किसानों की आत्म हत्त्याओं पर ,
मुस्कुराना सीख लिया है .
हमने सीख लिया है ,
बहू बेटियों को जलाना.
शोषण के सेज पर नारियों को लिटाना .
संस्कारों के क्षेत्र  में हमने ,
अभूत पूर्व परिवर्तन किया है .
बूढ़े माँ बाप को दूर किया है .
अब वे हमें अनावश्यक  भार लगते हैं .
इसलिए उन्हें घर के बजाय आश्रम में रखते हैं .
जाति धर्म की विलुप्तप्राय खाइयों का ,
 जीर्नोध्वार किया है .
धर्म निरपेक्षता पर भी करारा वार किया है .
भ्रष्टाचार का आधुनिकतम रूप ,
हमारा नया अनुसंधान है .
हमारी नयी तकनीक से पूरा विश्व हैरान है .
आनर किलिंग का पेटेंट कराने का हमें ,
पूरा अधिकार है .
क्यों की यह
हमारे तुच्छ जनमानस को स्वीकार है .
हमारी तकनीक से जाँच एजेंसियों को ,
सुबूत नहीं मिलता है .
इससे हमारी योग्यता को बल मिलता है .
हम आतंक वाद उग्रवाद नक्सलवाद को ,
हासिल कर चुके हैं .
अदभुद राष्ट्र भावना के अंतर्राष्ट्रीय पुरष्कारों की दौड़ ,
में शामिल हों चुके हैं .
जाति वाद क्षेत्रवाद की भावना को ,
विकृत रूप दिया जाये .
थोडा सा जहर और घोल दिया जाये .
तो सम्भव है .......
गिरी राष्ट्र भावना का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार ,
तुम्हारा देश पा जाये .
इक्कीसवीं सदी का प्रथम चरण .
प्रगति का हो चुका है अनावरण .
हर तरफ घोटालों का भरमार .
टूट रहा अर्थ शक्ति द्वार .
अपराध जगत के चक्रवात में ,
जन नायकों का योगदान है .
सोचो .....................
कितना सुरक्षित देश का स्वाभिमान है ?
शदी के प्रथम चरण का ,
यही सोपान है .
मानवता की अवनति ,
संवेदनाओं का बलिदान है .
जी हाँ तुम गर्व से कहो ..........
और खूब कहो ......
मेरा भारत महान है .
मेरा भारत महान है .

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

आज का पंडित ,महा दलित हो गया है

आज का पंडित ,महा दलित हो गया है




भिक्षा के सहारे ,जिन्दगी की आस |
सदियों से उसका इतिहास |
कुछ मिल गया तो खाया ,
वरना भूखा ही सोया |
सदैव लक्ष्मी को दुत्कारा |
सरस्वती को पुकारा |
विद्या का पुजारी बन
जीवन बिताया |
विद्या का दान कर समाज को उठाया |
सात्विकता का पाठ पढाया |
नीति -अनीति का ज्ञान कराया |
भारतीय समाज को सभ्य बनाया |
नहीं बनना चाहा  ऐश्वर्य का प्रतीक |
विलासिता से नहीं कर सका प्रीति |
सर्वत्र जीवन मानव कल्याण में लगाता रहा |
वेद,पुराण ,ज्योतिष ,खगोल को
सजोता रहा |
वैज्ञानिकता को धर्म में पिरोता रहा |
पवित्रता की गंगा से सबको भिगोता रहा |
नहीं टूटा वह मुगलिया भायाक्रंतों से |
नहीं डिगा वह आपने सिद्धांतों से |
कभी दधीची तो कभी परशुराम बन
अनीति का दमन किया |
कभी मंगल तो कभी आजाद बन ,
गुलामी को दफ़न किया |
राष्ट्र हित में उसकी असंख्य कुर्बानियां |
भारतीय गौरव की अनगिनत निशानियाँ |
आखिर क्या दिया उसको इस देश ने ?
तुच्छ राजनीती के गंदे परिवेश ने |
आज वह मौन है |
अब उसकी सुनता ही कौन है |
अब उसका अस्तित्व खतरे में है |
जातीय संघर्ष के कचरे में है |
योग्यता के बाद भी अब वह अयोग्य है |
अपमान तिरष्कार व आभाव ही
उसका भोग्य है |
आज उसकी प्रतिभाएं कुंद हो रही हैं |
जीवन की आशाएं धुंध हो रहीं हैं |
भारतीय राजनीती की ओछी मानसिकता
की शिकार है |
गरीबी के दंस से ,
टूटता बिखरता उसका परिवार है |
दो वक्त की रोटी में बदहवास .....
पेट की आग में जलता अहसास......
बच्चों को पढ़ाना..|
अपने पैरों पर चलाना ...
कितना दूर हो गया है |
आरक्षण की तलवार से ,
सब कुछ चकना चूर हो गया है |
अब उसके बच्चे होटलों पर मिलते |
वे वहाँ कप प्लेट धुलते |
अब उसके घर की महिलाएं,
ब्यूटी पार्लर चलती हैं |
जिन्हें दलित कहते हैं ,
उनको सजातीं हैं |
अब वह भी शहर में रिक्शा चलाते मिलता है |
जिन्हें दलित कहते हैं ,
उनको वह ढोता है |
मजदूरी करके पाल रहा है पेट
उसके चरित्र का भी लग रहा है रेट |
ऐसे लोकतंत्र को बारम्बार धिक्कार है |
जहाँ योग्यता नहीं जाति आधार है |
आरक्षण
प्राकृतिक सिद्धांतो के बिरुद्ध है |
प्रकृति में
अयोग्यता का मार्ग अवरुद्ध है |
वैसाखी के सहारे राष्ट्र का विकास ,
एक कोरी कल्पना है |
टूट रहा लोकतंत्र का विश्वास ,
ये कैसी विडम्बना है |
हे भारतीय नेताओं !
अपने निहित स्वार्थों के खातिर |
सामाजिक समरसता को विषाक्त ,
कर ही दिया आखिर |
कब तक सेकोगे
जातिवाद की आग पर रोटियां ?
तुम्हारे मत -लोभ से,
देश टूट जायेगा |
वक्त तुम्हारी करतूतों पर ,
कालिख पोत जायेगा |
अब भी समय है ,
जागो और देश बचाओ |
अमूल्य प्रतिभाओं को पहचानो ,
और देश में सजाओ |
तुम्हारी करनी का परिणाम ,
परिलक्षित हो गया है |
सामाजिक विघटन
से वह विचलित हो गया है |
वह तुम्हारे देश की सम्पदा है ,
उसे डूबने से बचाओ |
उसकी योग्यता को सम्मान दिलाओ |
जाति आधारित आरक्षण को मिटाओ |
तुम्हारी छुद्रता से राष्ट्र कलंकित हो गया है |
हाँ यही सच है |
आज का पंडित महा दलित हो गया है ||
आज का पंडित महा दलित हो गया है ||

सोमवार, 21 नवंबर 2011

क्रिकेट बनाम देश

         क्रिकेट बनाम देश
                              
   -- नवीन मणि त्रिपाठी
                              
                              G 1 / 28 अरमापुर इस्टेट कानपुर
                              
                                  फोन - 09839626686

 भारत क्रिकेट के खेल में ,
विश्व चैम्पियन बना .
देश का सम्मान बढ़ा .
२८ वर्षों बाद पूरा हुआ सपना ,
वर्डकप  हुआ अपना .
पूरे देश में ऐतिहासिक जश्न मनाया गया .
उद्योग पति से लेकर मजदूर तक में ,
जागृती आयी ,
ख़ुशी के पल में पटाखों को जलाया गया .
रातों रत टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी ,
देश के नायक बन गये .
देश की तकदीर के निर्णायक बन गये .
देश का हर नागरिक आत्म सम्मान से ओत प्रोत हो गया .
सचिन धोनी युवराज से अभिभूत हो गया .
हर गली कूचों व् चौराहों पर,
 विश्व विजेता का उफान देखा गया .
ढेरों मिठाइयों जोरदार जुलूस के नारों से,
 खिलाडियों का सम्मान देखा गया .
भारत की उन्नति का प्रतीक है क्रिकेट .
सभी ग्यारह खिलाडी हैं देश के विकेट .
देश की खिलाडी क्रीज पर जम कर मैच जीतते हैं ,
तो देश का सर ऊंचा हो जाता है .
यही विकेट जल्दी गिर कर मैच हारते हैं ,
तो देश का सर शर्म से झुक जाता है .
गाँधी सुभाष और भगत सिंह के देश के सर में ,
बी ० सी ० सी ० आई ० की स्प्रिंग लग गयी है .
देश की सोच बदल गयी है .
बी ० सी ० सी ० आई ० की टीम की जीत ,
से सर उठ जाता है .
और हार से सर झुक जाता है .
*        *        *         *         *       *           *        *

सर नहीं झुकता अब ,
देश में हो रही हजारों निर्दोषों की हत्त्याओं पर .
देश के भ्रष्टाचारियों के धन से लदे स्विस बैंकों पर .
हजारों किसानों की आत्म हत्याओं पर ,
पडोसी देशों द्वारा कब्ज़ा की हुई जमीनों पर .
हमारे करोड़ पति , अरबपति खिलाडियों ने,
 पसीना बहाया है.
देश का मनोरंजन कराया है .
हमारे मंत्री राष्ट्रपति ने मैदान में जाकर,
 हौसला बढ़ाया है .
हमारे सेना अध्यक्षों ने,
 कर्नल जैसा पद देकर सम्मान बढाया है .
देश की राष्ट्रपति ने उन्हें भोज पर बुलाया .
B.C.C.I. करोड़ों रुपया खिलाडियों पर बरसाया .
अनेक कंपनियों ने.
 खिलाडियों को पुरस्कारों से नवाजा .
सबने बनाया उन्हें ख्वाजा .
देश के नायकों ने जलाई ,
पवित्र भारतीय संस्कृति की होली .
महगी शराब शैम्पेन से .,
मैदान में खेली होली .
इन नायकों ने दिखाया ;
देश के युँवाओं को शैम्पेन का असर .
बोतल की ताकत की हो गयी बच्चों में खबर .
दीमक की तरह भारतीय मस्तिष्क को ,
चाट रहा है यह खेल .
बड़ी बड़ी कंपनियों का बढ़ा रहा है सेल .
सब कुछ भूल कर ,
चैन से मजा लेने की क्षमता देता है .
हमारे जननेताओं को ,
क्रिकेट का नशा स्टेडियम में बुला लेता है .
राष्ट्रीय खेल हाकी का तो बुरा हाल है .
कबड्डी कुस्ती  खोखो तैराकी सब कुछ बेहाल है .
भारतीय RASHTREEY   नेताओं को हम चुनौती दे सकते हैं .
हमे पता है वे क्रिकेट को छोड़ कर किसी अन्य ,
खेल के पाँच खिलाडियों के नाम भी ,
 नहीं बता सकते हैं .
राष्ट्रीय शहीदों के बेटों को,
 वे कर्नल नहीं बना सकते हैं ,
उनकी बिधवाओं को वे ,
पार्स एरिया बँगलें नहीं बनवा सकते हैं ,
वे भारतीय मुख्य मंत्री हैं .
देश के सन्तरी हैं .
वे क्रिकेट के खिलाडियों का सम्मान करते हैं .
मैदान पर पसीना बहाने वालों को लाखों,
 का दान करते हैं .
रोज जब किसी प्रदेश का जवान .
सजोता है भारत का सम्मान .
शहीद बन के ,
भारत माँ की गोदी में सो जाता है .
नहीं दे पाते हैं हम उन्हें ,
क्रिकेट के खिलाडियों जैसा सम्मान .
कहाँ चला जाता है ,
हमारा स्वाभिमान ?
कुछ ही दिनों में ,
हम उन्हें भूल जाते हैं .
बलिदानियों के लिए ,
 राष्ट्रीय धर्म का वसूल गवांते हैं ,
शहीदों की विधवाओं और अनाथ बच्चों का ,
कितना हो पता है सम्मान ?
अगर कुछ दे सकते हो ,
तो भारत माँ का मत करो अपमान .
शहीदों के बच्चों व् विधवाओं को ,
उचित सम्मान दिलाओ .
राष्ट्रपति भवन में ,
उन्हें भी भोज पर आमंत्रित कराओ .
अगर तुम मैदान के
शराब के नशेबाजों पर करोड़ों ,
लुटा सकते हो ,
तो देश के शहीदों को,
 कैसे भुला सकते हो ?
जाओ प्राश्चित करो ,
उनकी कुर्बानियों को,
 याद करो .
उनके परिवार को सम्मान दिलाओ
सचिन और धोनी के बदले ,
उन्हें भी कर्नल व् लेफ्टिनेंट बनाओ .
शायद इतिहास तुम्हें माफ़ कर देगा .
वरना एक बार फिर यही इतिहास,
 गुलामी की कालिख से .
 तुम्हारा नाम लिख देगा .
राज नीति व् प्रशासन के मेहमानों .
वास्तविक विजेता को पहचानों .
सोच नहीं बदली तो ,
भारत का ज्वलंत परिवेश हो जायेगा.
इस बार चुनाव का मुद्दा भी ,
क्रिकेट बनाम देश हो जायेगा .
क्रिकेट बनाम देश हो जायेगा .

                    -- नवीन मणि त्रिपाठी


शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

भ्रष्टाचार के निमित्त कुछ छंद

             भ्रष्टाचार के निमित्त कुछ  छंद
                                 -- नवीन मणि त्रिपाठी
गाँधी  तेरे  देश  में  विडम्बना  का हाल  ये  है ,भ्रष्टता  परंपरा  की  रीत बन जाएगी |.
आधी अर्थ  शक्ति तो विदेशियों के हाथ में है ,उग्रता तो जनता की प्रीत बन जाएगी ||.
लाज शर्म  घोल के  पिया  है जननायकों  ने ,लोकपालवादियों  की नीद  उड़ जाएगी |
कली है  कमाई अब देश के  प्रशासकों , की अब तो  लुटेरों वाली  नीति  बन जाएगी ||




हो रहा  अवैध  है खनन  इस देश  में  तो भट्टा  परसौल  की  मिसाल मिल जाएगी |
टू जी का घोटाला है तो खेलों में भी घाल-मेल ,ऐसे जननायकों की चाल दिख जाएगी||
हत्यारे हैं जेलों के करेंगे क्या सुरक्षा वो , जाँच  की मजाल  की  जुबान सिल जाएगी |
कौन  से भरोसे से तू  वोट मांग पायेगा रे , चोर  सी निगाह  तेरी  उठ  नहीं  पायेगी ||.


होड़ सी  लगी है आज देश  को खंगालने  की ,देश में  विषमता की  खाई  खुद जाएगी |
रोटी दाल थाली  मजदूर  से भी  दूर चली ,महगाई  मौत  की  कहानी  लिख  जाएगी ||
टूट रही देश भक्ति  टूट रहा आत्मबल  , और क्या व्यथाओं  की निशानी  चुभ जाएँगी |
लोकतंत्र  का  मजाक  बन  गया  देश आज , वन्दे  मातरम वाली  वाणी  उठ  जाएगी||


अर्थ के गुलाम बन  जिन्दगी जियेंगे  नही , दूसरी आजादी की  लडाई  छिड़  जाएगी |
काले  कारोबारियों को  देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता  की  फिर  घडी आएगी ||
धैर्य की  परीक्षा अब  देंगे  नही  देश वासी,  अर्थतंत्र  वाली  बलि- बेदी  चढी  जाएगी |
बांध  के  कफ़न  आज युद्ध में  तो कूद कर , भ्रष्टाचारी  ताज पर  मौत  जड़ी  जाएगी ||

                                                              --नवीन मणि त्रिपाठी
                                                               जी  १ / २८ अरमापुर कानपुर
                                                          फोन - ९८३९६२६६८६


मै एक चिकित्सक हूँ

             मै एक  चिकित्सक हूँ

                                                                                           नवीन मणि त्रिपाठी
                              
                                                           जी वन /२८ अरमापुर
                              
                                                            कानपुर 
                              
                                                         दूरभाष ०९८३९६२६६८६


जी हाँ मै एक चिकित्सक हूँ .
आपकी बिमारियों का निरीक्षक  हूँ .
लोग मुझे भागवान का दूसरा रूप मानते हैं .
इस बात को हम अच्छी तरह जानते हैं .
जब हम किसी सरकारी अस्पताल में होते हैं .
निःशुल्क इलाज करते हैं .
गरीब भूखे नंगे सब आते हैं .
हजारों बीमारियाँ साथ लेट हैं .
सरकारी दवाओं से कुछ बीमारियाँ ,
ठीक हो जाती हैं .
मगर कुछ   ढीठ हो जाती हैं .
कभी कभी लम्बा इलाज करता हूँ .
एक्स रे ,अल्ट्रासाउंड , व् मेडिकल स्टोर वालों से ,
कनेक्सन रखता हूँ .
लम्बे लम्बे पर्चे लिखता  हूँ .
वेतन के सहारे कभी नहीं जीता हूँ .
नौकरी का पैसा बैंक में रख देता हूँ .
कमीशन के  सहारे  जेब खर्च चल जाता है .
जरुरत का मतलब निकल जाता है .
मेरी जरुरत उन्हें भी होती  है ,
जिनकी आवश्यकता  फर्जी रिपोर्ट होती है .
अगर किसी को फर्जी मुक़दमा कायम करना होता है .
तो एक लम्बे बज़ट का मेडिकल रिपोर्ट जरुरी होता है .
लीव मेडिकल मैं  दिन में दस बनता हूँ .
डेंगू मलेरिया चिकन गुनिया सब कुछ दर्शाता हूँ
.पूर्व जन्मों की तपस्या है
इस जनम में नहीं कोई समस्या है .
लोगों को जीवन दान करता हूँ .
चिकित्सा हो या कानून सब में योगदान करता हूँ .
आज के ज़माने में इलाज कोई खेल नहीं है .
गरीब और अमीर के इलाज में कोई मेल नहीं है .
कुछ पैसे वाले मरीज आते हैं .
अधिकांश मनो रोगी होते हैं .
सरकारी इलाज में उन्हें लोचा दिखता है .
प्राइवेट इलाज में  भरोसा दिखता है .
ऐसे मरीज मेरे लिए अधिक उपजाऊ होते हैं .
किसी पूत की तरह कमाऊ होते हैं .
अगर कोई ठीक ठाक पैसे वाला
कोई मरीज मेरे पास आता है .
उसकी माली हालात मेरी समझ में आ जाता है .
धीरे से घर का पता बताता हूँ .
बिलकुल ठीक होने का भरोसा दिलाता हूँ .

*     *      *      *      *        *          *         *          *

एक दिन एक महगी कार से एक साहब ,
बीबी के साथ आये .
काफी परेशान नज़र आये .
आते ही बोले .....
सर मुझे आपको प्राइवेट दिखाना है .
बीबी का इलाज करना है .
मैंने उन्हें धीरे से घर का पता बताया .
छः बजे शाम को घर पर बुलाया .
शाम को महाशय घर आये .
अपनी मैडम  को साथ लाये .
"मैंने मरीज से पूछा क्या परेशानी है ."
 "सर मन में वीरानी है ."
सर्दी जुकाम खांसी से परेशान हूँ .
सर दर्द आँख और नाक में पानी है ."
मैंने उन्हें तुरंत टेबल पर लिटाया .
हाथ पीठ छाती पर आला लगाया .
आँख जीभ नाक पर टार्च जलाया .
बी ० पी ० मशीन का नुस्खा आजमाया .
चार बार  बी ० पी ० की रीडिंग निकलवाया .
साथ में थर्मामीटर भी लगाया .
मरीज को सही जगह आने का भरोसा दिलाया .
जाँच के लिए एक लम्बा सा पर्चा बनाया .
और फिर मरीज के पतिदेव को समझाया .
" इनकी समस्या गम्भीर हो सकती है .
जाँच की कमी से बीमारी बढ़ सकती है .
अगर सर्दी है तो डी० एल० सी ०, टी० एल ० सी ०
की जाँच करनी ही पड़ेगी .
जाँच नमूनों की रिपोर्ट मगानी ही पड़ेगी .
खांसी तो खतरनाक बीमारियों का लक्षण है .
ये बीमारी तो जड़ से ही गड़बड़ है .
इस लिए चेस्ट एक्स रे , मान्टूस टेस्ट ,
व् एलर्जी की रिपोर्ट लानी ही पड़ेगी .
रहा सवाल सर दर्द का ,
यह तो चक्कर है न्यूरो का .
स्पेंडलैटिस सर्वाइकल हो सकता है .
इसका पता तो सी ०  टी ० स्केन व्,
 ऍम ० आर ० आई ० से चलता है .
आपको ठीक करना मेरी मजबूरी है
इसलिए ये सारी जांचे जरूरी हैं .
कुछ दवाएं देता हूँ .
चार  दिन बाद बुलाता हूँ .
मरीज मेरे बिचारों से सहमत हो गया .
हजारों के कूरियर का रहमत हो गया .
चौथे दिन मरीज फिर आया .
खांसी जुकाम से निजात पाया .
डाक्टर सर मै तो ठीक हो गयी हूँ .
बीमारियों के डर से बेचैन हो गयी हूँ .
देखिये मेरी बिमारियों की ये रिपोर्ट .
दीजिये मुझे मानसिक सपोर्ट .
मैंने रिपोर्ट पर नज़रें दौडाई .
आड़ी तिरछी कर लाइट लगाई .
सारी की सारी रिपोर्ट ओ ० के ० निकल पड़ी .
महिला ख़ुशी से उछल पड़ी .
चिकित्सक का धंधा नहीं होता ठंढा .
क्योंकि सही इलाज का यही है फंडा.
*      *        *       *         *          *      *    * 
जब किसी नर्सिंग होम से मेरी काल आती है .
तो थोड़ी किस्मत बदल जाती है .
नर्सिंग होम का तो विचित्र धंधा है .
मरीज के पैसों पर हर तरफ फंदा है .
अगर देश में नार्मल डिलेवरी का औसत अस्सी प्रतिशत होता है .
तो नर्सिंग होम में सिजेरियन डिलेवरी का औसत
निन्न्यानबे प्रतिशत होता है .
अगर आपके हाथ पैरों की हड्डी टूट जाती है .
तोह पलास्टर छोड़ . आपरेशन की सलाह दी जाती है .
मरे हुए मरीज को भी एक दो दिन तक वेंटीलेटर पर रखते हैं .
इलाज के लिए घर वाले पैसे भरते हैं .
जब तक मरीज के बकाया धनराशी का भुगतान नहीं होता .
तब तक मरीज के घोषित मृत्यु का बयान नहीं होता .
जरुरत पड़ने पर हर फंदा झोंक देते हैं .
किसी मरघट के डोम की तरह लाशें भी रोक लेते हैं .
*     *         *             *           *         *           *
नर्सिंग होम में इलाज करना स्टेटस सिम्बल होता है .
इस से तय मैरिज रिलेशन लेबल होता है .
जब कोई अल्प बेतन भोगी केन्द्रीय कर्मचारी .
उसे परेशान करती है कोई बीमारी .
सी ० जी ० एच० एस० का लाभ उठता है .
किसी महगे नर्सिंग होम में ,
भारती हो जाता है .
कर्मचारी का सामजिक स्तर बढ़ जाता है .
महागा इलाज समाज की नज़र में ,
चढ़ जाता है .
लौट क्र आने पर परिणाम अच्छे मिलते हैं .
बेटे की शादी के लिए बड़े घरों से ,
रिश्ते निकलते हैं .
इस तरह पैसे कमाने की,
 आदत बन जाती है .
हर मरीज से रुपये ऐठने की नीयत बन जाती है .
जब भी कोई गरीब माँ,
अपने बच्चे की जान बचाने के लिए गिड़गिडाती है .
तो सबसे पहले मेरी नज़रें उसके फटे आँचल के ,
सिक्कों पर ठहर जाती है.
बार बार मन में विचार आता है ,
हवन करने में तो हाथ जलता है .
अगर मैं इनकी ही सुनता रहा तो शायद ,
बहुत पिछड़   जाऊंगा .
कुछ दिनों बाद इनके जैसा बन जाऊंगा.
लोग बड़े बड़े घोटाले कर जाते हैं
इन्सान क्या जानवरों के चारे खा जाते हैं .
विदेशी बैंकों के धन से ,
कई पीढियां आबाद हो जातीं हैं .
युग तो भ्रष्टता का है ,
ईमानदारी हमेशा मर खाती है .
यहाँ अमीर और गरीब के मौत में अन्तेर होता है .
अमीर ए०सी ० वार्ड में ,
पेन किलर दवाओं के साथ मरता है.
वहीँ गरीब जनरल वार्ड में ,
दर्द से तड़प तड़प कर मरता है .
सब कुछ देखते देखते संवेदनाएं शून्य हो जातीं हैं .
पैसों के होड़ में आत्मा मर जाती है .
सारी की सारी भावनाएं बिखर जातीं हैं .
आज चिकित्सक का रूप बदल गया है .
वह भागवान के रूप से फिसल गया है .
किसी रोबोट मशीन की तरह ,
यंत्रवत होता जा रहा है .
रिमोट इसका ,
अमीरों के केन्द्र्वत होता जा  रहा है .
अब इसे नहीं दिखाई देतीं ,
मानवता ......... संस्कार .......राष्ट्र की संवेदनाएं .
नहीं सजो पाटा वह,
 नैतिकता की कल्पनाएँ .
भ्रष्ट हो चुके समाज का,
 एक शुभ चिन्तक हूँ .
तड़पती गिड़गिडाती ,
नैतिकता का निन्दक हूँ .
दम तोड़ती मानवता का भक्षक हूँ .
जी हाँ गौर से पहचान लो ......
मै एक चिकित्सक हूँ .
मैं एक चिकित्सक हूँ .


रविवार, 13 नवंबर 2011

भारतीय बाल मजदूर

 मित्रो मजदूर दिवस पर मेरी यह रचना सप्रेम भेट


तपती दोपहरी में ,
पसीने से लथ पथ ,
सड़क पर पत्थर बिखेरता एक मासूम |
बार बार कुछ सोचता है ,
मन को कुरेदता है |
आज माँ खुश हो जाएगी ,
कुछ आटा चावल मगाएगी |
दर्जी के पास भी जाना है ,
माँ के फटे आँचल में ,
चकती लगवाना है |
छोटा भाई तो कल भूँखा ही सोया था ,
रोटियां कम थी इस लिए रोया था |.
आज पूरे सौ मिलेंगे ...
इतनी महगाई में क्या ला सकेंगे.... ?
अचानक ठीकेदार प्रकट होता है |
अपनी जुबान से आग उगलता है |
देख ! तुझसे ज्यादा काम तेरे बड़ों ने किया है |
तू ने क्या कामचोरी किया है ?
मासूम तिलमिलाया ,
कुछ बुदबुदाया |
बाबु जी ! मेरे हाथ ... मेरी टोकरी छोटी है |
घर में ना चावल ना रोटी है |
धीरे धीरे पूरा कर दूंगा ,
आप की शिकायत को दूर कर दूंगा |
आज मुझे कुछ पैसे दे देना |
थोड़ी दया कर देना |
लाल हो गयीँ ठीकेदार की ऑंखें |
कुछ नहीं सुननी तेरी बातें |
बात ठीके की थी |
ना छोटे ना बड़े की थी |
तूने काम पूरा नहीं किया है |
कंपनी को धोखा दिया है |
अभी चुप चाप घर चले जाना ,
कल से काम पर मत आना |
मासूम चकरा गया |
आँखे भर आयीं .....
शब्द भर्रा गया |
नन्हीं सी कल्पना भी हो गयी चूर चूर |
यही है भारतीय बाल मजदूर |
यही है भारतीय बाल मजदूर ||
_नवीन

सेवानिवृत्ति

- नवीन मणि त्रिपाठी
अरमापुर इस्टेट कानपुर
दूरभाष - ९८३९६२६६८६
वह कर्तव्य निष्ठ नेक इमानदार |
कार्य के प्रति समर्पित ,व वफादार |
नौकरी के आखिरी पड़ाव पर ,
टूट रहा आपने ठहराव पर |
देखे थे सपने ,
नहीं हुए अपने|
अपना मकान बच्चों की पढाई
और शादी......|
कुछ पूरा.... कुछ बाकी....|
उसने देखें हैं महीने के चार हफ्ते ,
कुछ महगे कुछ सस्ते |
उसे दर्द है मित्रों से बिछड़ने का |
घर के बदलने का |
उसे डर भी है जिन्दगी बिखरने का |
धड़कने सिमटने का |
याद है उसे जिन्दगी का वह अंजान चौराहा ,
एक राह जिस पे चलना चाहा|
मजदूरी करके पला है ,
बच्चों का पेट |
जमाना बहुत आगे ,
खुद हो गया है लेट |
कारखाने का जीवन |
ले गया यौवन |
रिटायर मेंट के पैसों का तो अजब किस्सा है |
इस में तो परिवार में सब का हिस्सा है |
नहीं देखा दो नम्बर पैसा .
नहीं बनना चाहा लुटेरों जैसा |
छोटे से वेतन में के क्या क्या कर पता .........
यथार्थ का जीवन संघर्ष जता जाता|
बहुत कुछ सोचा था ...,
बिखरी आशाएं |
नहीं पूरी हो पायीं छोटी इच्छाएं |
किसी कारखाने के मजदूर की बदलती आकृति .
चीख कर बताती है सेवानिवृत्ति |
चीख कर बताती है सेवानिवृत्ति ||
-नवीन

मैं आपका थानेदार हूँ.

 नवीन मणि त्रिपाठी
दूरभाष - ९८३९६२६६८६

मैं  इस देश की जनता का ,
सुरक्षा कवच हूँ |
भोले भले लोगों की अच्छी खासी
समझ हूँ |
दिन -रात लोगों की भलाई के दौड़ता हूँ |
जरुरत पड़ने पर हड्डियाँ तोड़ता हूँ |
निर्दोषों से भी रूपया ऐठता हूँ |
ना देने पर कानून में लपेटता हूँ |
आप की सेवा के लिए आप का पहरेदार हूँ |
अरे भाई ! अब नहीं समझे ?"
मैं कोई और नहीं ,
मै आपका थानेदार हूँ |
मैं आपका थानेदार हूँ ||
* * * * * * * *
व्यवसाय से मेरा अच्छा
रिश्ता है ,
मेरी दूकान में कुछ महागा
कुछ सस्ता है |
फुर्सत मिले तो,
मेरे सो रूम में आइये |
आपने जरूरत की ,
सारी चीजें ले जाइये |
मसलन .....हत्या बलात्कार
व राहजनी को अपनाइए |
बदले में थोड़ी कीमत चुकाइए |
दस प्रतिशत अधिक टैक्स देने पर
कानून से सुरक्षित रहने का
गारंटी पत्र पाइए |
आपकी सेवा के लिए मै ,
बिलकुल तैयार हूँ |
हाँ बिलकुल ठीक जाना ....
मैं आपका थानेदार हूँ |
मै आपका थानेदार हूँ ||
* * * * * * * * * * *
हम आपकी सेवा के लिए
सदैव तत्पर दिखते हैं |
मेरे व्यवसाय के शेयर,
मार्केट में बिकते हैं |
मेरे शेयर की मार्केट वैलू,
एक महीने में दस गुना हो जाती है |
देखते ही देखते किस्मत बदल जाती है |
मेरी बेब साईट में सीक्रेट फोल्डर हैं |
राज नेता तो मेरा बड़ा शेयर होल्डर है |
कला बाजारी एस्मग्लिंग फंड ,
की मार्केट तेज है |
इसमे पैसा लगाने में कुछ नहीं गुरेज है |
फार्म उपलब्ध हैं ले जाइये |
अपनी मन पसंद स्कीम में पैसा लगाइए |
अपनी कंपनी के लिए ,
आप से सहयोग का हक़दार हूँ |
समझ गये ना ....!
मैं आप का थानेदार हूँ |
मैं आप का थानेदार हूँ ||
* * * * * *
मेरे सो रूम में आइये ,
आर्थिक मंदी का लाभ उठाइए |
डकैती हत्या बलात्कार पर ,
पचीस प्रतिशत की छूट है|
अपहरण छेड़खानी और जाली नोटों पर ,
लूट ही लूट है |
अवैध गाँजा शराब जुवाखोरी व चकलाघर,
पर विशेष स्कीम है |
रेट लिस्ट के लिए दीवान जी मुनीम है |
अगर आप को कोई घर या जमीन कब्ज़ा करना है |
अथवा शहर में कोई दंगा करना है |
तो इसका टैक्स थोडा ज्यादा पड़ता है |
क्यों की इसमें तो पुलिस वाला भी मरता है |
इसके ग्राहक तो हमारे पार्टनर नेता हैं |
सीधे साधे समाज के प्रणेता हैं |
आप की सेवाओं के लिए ,
मैं काफी दमदार हूँ ,
सोच ले भाई .....
मैं आप का थाने दार हूँ |
मैं आप का थानेदार हूँ ||
* * * * * *
मेरी दूकान में हर चीज बिकती है |
शो रूम की आखिरी लाइन
कुछ खास दिखती है |
यकीन नहीं तो यकीन हो जायेगा
तुम्हारा भ्रम सत्त्यता में विलीन हो जायेगा|
देखो ! ये है फर्जी अन्कौन्टर के सफल रिकार्ड |
प्रोन्नति पाने के स्मार्ट कार्ड |
पचास प्रतिशत का आफर देता हूँ .
बाकी सरकार से कम लेता हूँ|
निर्दोष को क्रिमनल बना देता हूँ |
हर तरफ नाम कमा लेता हूँ |
वैसे मैं बेचने को अपनी आत्मा भी बेचता हूँ
ठीक ठाक खरीदार ढूंढता हूँ |
इमान तो रोज बिकते हैं .
आत्मा के ग्राहक काम मिलते हैं |
मुझे उम्मीद है एक दिन कोई बड़ा ग्राहक |
एक नेता ही आएगा |
मेरी आत्मा को ले जायेगा |
मेरे ही किसी अपने का क़त्ल कराएगा \
धंधे की बातों का मै दानेदार हूँ |
अगर अब भी नहीं समझे .......
तो जल्दी समझ जाओगे |
मैं आपका थानेदार हूं |
मैं आपका थानेदार हूँ ||