तीखी कलम से

रविवार, 13 नवंबर 2011

सेवानिवृत्ति

- नवीन मणि त्रिपाठी
अरमापुर इस्टेट कानपुर
दूरभाष - ९८३९६२६६८६
वह कर्तव्य निष्ठ नेक इमानदार |
कार्य के प्रति समर्पित ,व वफादार |
नौकरी के आखिरी पड़ाव पर ,
टूट रहा आपने ठहराव पर |
देखे थे सपने ,
नहीं हुए अपने|
अपना मकान बच्चों की पढाई
और शादी......|
कुछ पूरा.... कुछ बाकी....|
उसने देखें हैं महीने के चार हफ्ते ,
कुछ महगे कुछ सस्ते |
उसे दर्द है मित्रों से बिछड़ने का |
घर के बदलने का |
उसे डर भी है जिन्दगी बिखरने का |
धड़कने सिमटने का |
याद है उसे जिन्दगी का वह अंजान चौराहा ,
एक राह जिस पे चलना चाहा|
मजदूरी करके पला है ,
बच्चों का पेट |
जमाना बहुत आगे ,
खुद हो गया है लेट |
कारखाने का जीवन |
ले गया यौवन |
रिटायर मेंट के पैसों का तो अजब किस्सा है |
इस में तो परिवार में सब का हिस्सा है |
नहीं देखा दो नम्बर पैसा .
नहीं बनना चाहा लुटेरों जैसा |
छोटे से वेतन में के क्या क्या कर पता .........
यथार्थ का जीवन संघर्ष जता जाता|
बहुत कुछ सोचा था ...,
बिखरी आशाएं |
नहीं पूरी हो पायीं छोटी इच्छाएं |
किसी कारखाने के मजदूर की बदलती आकृति .
चीख कर बताती है सेवानिवृत्ति |
चीख कर बताती है सेवानिवृत्ति ||
-नवीन

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