तीखी कलम से

रविवार, 13 नवंबर 2011

मैंने ग़ज़ल लिखी है

 मैंने ग़ज़ल लिखी है , तेरे यादगार की |
तश्वीर पुरानी है , खिजां के बहार की ||

मौसम ने गुलिश्तां को भिगोया था बहुत खूब |
साजिश रची गयी तेरे पुरवा बयार की ||

दिल थम के वो रोया ना आशिक मिजाज था |
अश्कों ने कहानी लिखी थी तेरे प्यार की ||

लिखा जो नाम रेट पे पहचान की खातिर |
लहरें बहा के ले गयीँ , पानी के धार की ||

दिल के बाज़ार में तो मैं, आया था नाज़ से |
कीमत लगाई तूने मेरे बेक़रार की ||
                                                                                      -नवीन

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