तीखी कलम से

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

महिला आरक्षण

महिला आरक्षण


वह प्रतीक है,
किसी सभ्य समाज की .
वह पूजनीया है ,
भारतीयों के ताज की .
अर्धांग है,
भारतीय पुरषतत्व की .
शशांक है ,
मानवीय ममत्त्व की .
सबने देखा उसे ,
अन्तरिक्ष की सैर करते .
वायु यान उड़ाते जलयान चलाते.
गोलियां बरसाते देश पर कुर्बान होते .
हिंदुस्तान की बागडोर सँभालते .
सब कुछ बेहतर करने की क्षमता है .
फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता ,
चिल्ला चिल्ला कर कहती है ,
नारी का पुरषों से भला क्या समता है ?
* * * * * *

युगों युगों तक नारी को ,
कई तह पर्दों में लपेटा गया .
आपने स्वार्थ के लिए लोगों को परोसा गया .
उपभोग की बस्तु की उपमा दी गयी .
तो कहीं शोषण के मानचित्रों में .
अलंकृत की गयी .
धर्म के आडम्बर में ,
कहीं देवी तो ,तो कहीं माँ तो कहीं
बहन का सम्मान मिला .
यह सारा कपोल कल्पित कमल ,
खोखली सामाजिकता के आसपास ही खिला .
वर्षों से दबाया गया नारी जीवन को ,
शायद ...............
अब वे नहीं सहेंगी .
दृढ़ हो रहीं हैं भारतीय नारियां .
महिला आरक्षण ले के रहेंगीं .

* * * * * *

आज एक नर्सिंग होम में .
एक महिला आयी .
खुद को एक महिला डाक्टर को दिखाई .
डाक्टर मैडम ...
जाँच करके बताइए,
मेरे पेट में नर है या नारी ?
अगर नारी है ....... .
तो जन्म देना होगा भारी .
मुझे सिर्फ कुलदीपक चाहिए .
बंश परम्परा का द्द्योतक चाहिए .
तभी माँ के उदर से ,
निर्दोष बच्ची की बिलखती सी आवाज आयी .
माँ के फैसले से बच्ची अधिक तिलमिलाई .
ओ... मेरी ...इक्कीसवी शदी की माँ .........???
तुम तो नारी हो...... नारी की सोच ....
सिर्फ पार्लियामेंट में
बिल पास करवाने से क्या होगा ?
हमारी झोली में भी मानवता का अधिकार भर दे .
अगर पास करना है ..........
तो अपनी ही कोख में .......
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .

37 टिप्‍पणियां:

  1. फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता ,
    चिल्ला चिल्ला कर कहती है ,
    नारी का पुरषों से भला क्या समता है ?
    bahut simple see baat hai
    sach ko nahee maannaa
    jhooth bolnaa hamaaree aadat hai
    purshon ko mahilaaon se dar jo lagtaa hai
    pahle kewal ghar mein pitte they
    ab baahar bhee pitnaa padegaa
    is baat se dar lagtaa hai

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  2. समाज जिस मानसिकता में जीता है, उसके विभिन्न पहलुओं को आपने अपनी रचना में बड़ी खूबी से समाहित किया है।

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  3. दो सामाजिक घटनाओं को जोड़ती प्रभावी कविता...

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  4. वाह!!!!!नवीन जी,क्या बात कही आपने,...भावपूर्ण बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना

    MY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...

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  5. .भावपूर्ण बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना|

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  6. प्रभावशाली सशक्त भावपूर्ण प्रस्तुति.
    आपके सद लेखन को नमन.
    आभार,नवीन जी.

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  7. bahut prerak sashakt rachna likhi hai aapne aapki lekhni ko salaam isko face book par ,twitter par share kar rahi hoon....badhaai.

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  8. namaskar tripathi ji
    सब कुछ बेहतर करने की क्षमता है .
    फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता ,
    चिल्ला चिल्ला कर कहती है ,
    नारी का पुरषों से भला क्या समता है ?
    * * * * * * ......bahut ki sunder katu satye ko bayan karti hui sarthak post . aapne bahut prabhavshali tarike se prastut kiya ....abhar itni sunder rachna ke liye aapko .......hardik shubhkamnaye. badhai .

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  9. तो अपनी ही कोख में .......
    महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .

    क्या बात कही... वाह!
    सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई..

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  10. ओ... मेरी ...इक्कीसवी शदी की माँ .........???
    तुम तो नारी हो...... नारी की सोच ....
    सिर्फ पार्लियामेंट में
    बिल पास करवाने से क्या होगा ?
    हमारी झोली में भी मानवता का अधिकार भर दे .

    ... सशक्त भावपूर्ण प्रभावशाली प्रस्तुति.

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  11. बहूत हि अच्छी,बेहतरीन और सार्थक रचना है...

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  12. महिला के कई रूप आपने इस सुंदर कविता में झलकाए हैं।

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  13. तो अपनी ही कोख में .......
    महिला आरक्षण का बिल पास कर दे.
    क्या बात है! वाह!

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  14. वाह...क्या कहा है नीलमणि जी! बहुत खूब!! अंगेजी में बोले तो ... लेट चैरिटी बिगिन एट होम। कुछ कुछ यही यहाँ भी है: कृपया देखें,
    http://tyagiuwaach.blogspot.in/2012/01/blog-post.html#comment-form

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  15. अगर पास करना है ..........
    तो अपनी ही कोख में .......
    महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .

    .....बहुत मर्मस्पर्शी रचना...

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  16. सच कहा है सबसे पहले नारी फिर पुरुष और फिर समाज को अपनी सोच बदलनी होगी ...
    बहुत संवेदनशील लिखा है आपने ...

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  17. प्रासंगिक भाव किये प्रस्तुति..... सटीक एवं स्पष्ट विचार लिए

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  18. बेहद सशक्त एवं सार्थक रचना...

    सादर.

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  19. महिला आरक्षण बिल पास हो जाएगा उस दिन आधे पुरुष नेताओं की छुट्टी हो जायगी बहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....

    MY NEW POST...आज के नेता...

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  20. आपकी कविता के प्रत्येक शब्द समवेत स्वर में बोल उठे हैं ।.भाव भी मन को दोलायमान कर गया । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  21. महिलाओं के लिए हक़ हुकूक मांगने के सन्दर्भ में आपकी कविता एक नए एहसास से गुज़रना है....

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  22. कटु सत्य बयान करती सुंदर व अति संवेदनापूर्ण प्रस्तुति।

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  23. सर बहुत ही सुन्दर कविता |आपका उत्साहवर्धन हमें कुछ नया लिखने को प्रेरित करता है |आभार

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  24. प्रभावी लेखनी चलायी है आपने..विचारों के लिए धन्यवाद :)

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  25. naveen ji,
    bahut achchha laga aapki lekhni se ru-b-ru hona kintu jahan tak mahila aarakshan ki bat hai to main kisi ke liye bhi aarakshan ke khilaf hoon yadi is desh me sabhi tarah ka aarakshan samapt kar diya jaye to mera manna hai ki sahi pratibha ko ubharne ka sahi mauka milega.aapke vichar mahilaon ke vishay me sarahna ke yogya hain.aabhar.

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  26. अगर पास करना है ..........
    तो अपनी ही कोख में .......
    महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .
    महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .
    क्या बात है इससे सशक्त रचना क्या हो सकती है .इसी सन्दर्भ में एक अपील पुरुषों से कन्या वध पर ....मर्द अर्द्ध - नारीश्वर है .क्योंकि वह एक एक्स -वाई इन्दिविज़्युअल है .

    जरा सोचों उसके अन्दर का एक्स (नारी की कोमलता )मर जाए तब वह निरा ठूंठ न रह जाएगा .जबकि औरत मात्र एक्स -एक्स युग्म है .पुरुष में नारी मौजूद है नारी में पुरुष नहीं है .इसीलिए पुरुष ज्यादा कोमल है .साथ साथ बलिष्ट भी इसलिए नारीश्वर कहलायें हैं 'नटराज 'राजाओं के राजा शिव .

    हाँ कन्याओं को मत मारो तुम्हारा ही एक हिस्सा मारा जाता है एक्स .

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  27. नवीन जी , इस सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई, भाव तो अत्युत्तम हैं ही पर शब्द चयन तो अद्भुत है आपका ...

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  28. मुखौटे ओढ़े हुये चेहरे ..... पहले स्वयं को मजबूत करें ॥खाली बिल पास होने से क्या होने वाला है ... बहुत सार्थक रचना

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  29. sir ji bahut hi sundar rachna hai .... itne din baad blog tak pahuch paya hu deri ke liye mafi chahta hun ... !!!

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