हो जाए फ़रेबों का ना व्यापार ये मंदा |
होने लगा ईमान का अखबार मे धंधा ||
मंदिर व मस्जिदों मे वे खैरात कर रहे |
आया जो जलजला तो मिला मौत का फंदा||
मठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
इंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा ||
भूखा हुआ इंसान भी बेबस है इस कदर |
लाशों को नोच नोच के मजहब किया गंदा ||
वे रहनुमा हैं उनका भी अब काम अहम है |
इनकी करें निंदा कभी उनकी करें निंदा ||
इज्जत भी बचाने मे है मोहताज आदमी |
करने लगा है वक्त भी इंसान को नंगा ||
कचरे मे जहर फेकते क्यों उसकी राह में|
बर्बाद ना कर दे तुम्हें इस बार भी गंगा ||
अब दौर है चुनाव का सेकेंगे रोटियाँ |
इस शहर मे होगा कहीं इस बार भी दंगा ||
प्रतिभा है दर किनार यहाँ वोट की खातिर |
फिर भी बड़े गुमान मे दिखता है तिरंगा ||
Naveen Mani Tripathi
होने लगा ईमान का अखबार मे धंधा ||
मंदिर व मस्जिदों मे वे खैरात कर रहे |
आया जो जलजला तो मिला मौत का फंदा||
मठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
इंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा ||
भूखा हुआ इंसान भी बेबस है इस कदर |
लाशों को नोच नोच के मजहब किया गंदा ||
वे रहनुमा हैं उनका भी अब काम अहम है |
इनकी करें निंदा कभी उनकी करें निंदा ||
इज्जत भी बचाने मे है मोहताज आदमी |
करने लगा है वक्त भी इंसान को नंगा ||
कचरे मे जहर फेकते क्यों उसकी राह में|
बर्बाद ना कर दे तुम्हें इस बार भी गंगा ||
अब दौर है चुनाव का सेकेंगे रोटियाँ |
इस शहर मे होगा कहीं इस बार भी दंगा ||
प्रतिभा है दर किनार यहाँ वोट की खातिर |
फिर भी बड़े गुमान मे दिखता है तिरंगा ||
Naveen Mani Tripathi
मठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
जवाब देंहटाएंइंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा
अब दौर है चुनाव का सेकेंगे रोटियाँ |
इस शहर मे होगा कहीं इस बार भी दंगा
सार्थक सामयिक अभिव्यक्ति
हार्दिक शुभकामनायें
सुंदर सृजन,बहुत उम्दा गजल ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
मंदिर व मस्जिदों मे वे खैरात कर रहे |
जवाब देंहटाएंआया जो जलजला तो मिला मौत का फंदा||
मठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
इंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा ||
भूखा हुआ इंसान भी बेबस है इस कदर |
लाशों को नोच नोच के मजहब किया गंदा ||---सही और सटीक अभिव्यक्ति!
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
dulat ke pujari hai karte hai rajniti lasho ke dher par bethe hai or karte hai danga mjhab ko mjhab se ladne ka hai kaam in hukumrano ne kar diya gulam
जवाब देंहटाएंमठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
जवाब देंहटाएंइंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा ||
...बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
मठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
जवाब देंहटाएंइंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा |..
तीखे और चुटीले शेर ... पर यथार्थ लिखा है .... हर शेर लाजवाब है ...
व्यथा को बहुत खूबसूरत लफ़्ज़ों में ग़ज़ल की शकल दी आपने त्रिपाठी जी. बहुत बढ़िया लगा.
जवाब देंहटाएंमठ के हैं हुक्मरान वे दौलत की निशानी |
जवाब देंहटाएंइंसानियत के नाम पर निकला नहीं चंदा ||
..............सही और सटीक अभिव्यक्ति!
फुर्सत मिले तो शब्दों की मुस्कराहट पर ज़रूर आईये
जवाब देंहटाएंभूखा हुआ इंसान भी बेबस है इस कदर |
जवाब देंहटाएंलाशों को नोच नोच के मजहब किया गंदा ||
खरी बात कहती सार्थक गज़ल