तीखी कलम से

रविवार, 18 मई 2014

गजल


बजती   रही   करीब   में   शहनाई   रात   भर ।
बेदर्द   तेरी   याद    बहुत   आयी    रात   भर ।।

तन्हाइयों   की   जिन्दगी   मुझको   कबूल  थी ।
कसमें   हजार   प्यार   की  वो  खाई  रात भर ।।


दिल की जुबाँ से दिल के तसउअर की बात की ।
कुछ  तो  जरुर  था  जो   वो  शरमाई  रात भर ।।


जब  लफ़्ज  थे  खामोश  व  जज्बात  थे  बयां ।
वो  छत  पे  बार  बार  नजर  आयी  रात  भर ।।

मेरी   गजल   के  शेर  बदलने   लगे  मिजाज ।
जब   दास्ताने   इश्क   वो   सुनायी   रात  भर ।।

                          नवीन

7 टिप्‍पणियां:

  1. त्रिपाठी जी, ग़ज़ल पढ़कर बहुत आनंद आया.

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  2. यशोदा जी लिंक करने हेतु बहुत बहुत आभार ।

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  3. बहुत सुंदर गजल ...!
    पढ़कर आनद आ गया...नवीन जी ....

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  4. वाह ...बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)

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