तीखी कलम से

बुधवार, 28 मई 2014

तीन सौ सत्तर मिटाना मुल्क की आवाज है


अब जिधर देखो उधर उठने लगी अल्फाज है ।
तीन सौ सत्तर मिटाना , मुल्क की आवाज है ।।



लुट गया है ये वतन कानून के परदे में खूब ।
ठग रहे वो देश को हैं जब से उनका राज है ।।



धमकियाँ गद्दार ने दी टुकड़े होगी भारती ।
लद गये दिन अब तेरे कश्मीर मेरा ताज है ।।



अब तुम्हारी हैसियत पे ला दिया जनता ने है।
हर तरफ बजने लगा है ये बिगुल का साज है ।।



जेब भर कर खूं को चूसा रो गया कश्मीर है ।
हिसाब लेगे अब वही कश्मीर जिसका नाज है।।
नवीन

5 टिप्‍पणियां:

  1. देश में कानून सबके लिए समान हो यह ज़रूरी है. वैसे मुझे लगता है धारा ३७० हटाना बहुत आसन नहीं होगा.

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  2. लुट गया है ये वतन कानून के परदे में खूब ।
    ठग रहे वो देश को हैं जब से उनका राज है ...
    बहुत खूब ... जनता की आवाज़ को बुलंद किया है ... जन जन की आवाज़ यही है ३७० पर बहस तो हो कम से कम ....

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  3. सुन्दर प्रस्तुति !
    मेरे ब्लॉग की नवीनतम रचना को पढ़े !

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