तीखी कलम से

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014

आँसू

--**"आँसू"**--
आँसू अनंत रूप में बिखर जाते हैं ....

गम के आँसू

ख़ुशी के आँसू
बनावटी आँसू 
घडियाली आँसू
रक्त के आँसू 
मुफ्त के आँसू
महंगे आंसू
सस्ते आँसू...................................।

 आंसू प्रतीक बन जाते हैं ........


मनोभावों के 

अदृश्य यातनाओं के 
अतृप्त इच्छाओं के 
अंतस के घावों के 
खंडित अभिलाषाओं के 
अनंत संवेदनाओं के 
तीखी व्यथाओं के ....................।

 आँसू छलक जाते हैं ......................।


मीत के मिलने पर 

या फिर बिछड़ने पर 
आशा के खोने पर
टूटे से सपने पर 
पीड़ा के डसने पर 
मृत्यु के हसने पर 
पर नैना  बहने पर 
ग्लानि के बसने पर.................

आँसू कभी नहीं आते 


दुष्ट अहंकारी को 

जीवन व्यापारी को
बिकी ईमानदारी को 
लिपटी गद्दारी को 
शोषक व्यभिचारी को
दंडाधिकारी को
सत्ता प्रभारी को 
भ्रष्टतम अधिकारी को

आँसू सूख जाते है .................


तानाशाही सरकार में 

निठारी सम अत्याचार में 
दामिनी बलात्कार में 
सैनिको के सर कलम कायराना संहार में
रोज लाखो बच्चियों की भ्रूण हत्या के ज्वार में 
देश बेचते भ्रष्टाचारी उपहार में ।
निर्दोषो की हत्यारी आतंकी तलवार में ...........

                          नवीन

8 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन व नायाब , धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 3 . 11 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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  2. आंसुओं को मथ दिया आपने ... भाव पूर्ण ...

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