तीखी कलम से

बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

अभिशप्त हुआ है प्रेम यहाँ


***गीत***

अभिशप्त  हुआ   है  प्रेम  यहाँ ,

बहना   मत  कभी  हवाओं  में ।
व्याख्या  करते   कंकाल  यहाँ,
चुभ   जाते   तीर  शिराओं  में ।।

उन्मुक्त  गगन में क्षितिज पार ,

पंछी   उड़  जाते   प्रेम   द्वार ।
आखेटक  बनता  नर  पिसाच,
फिर तीक्ष्ण तीर का नग्न नाच।
मिथ्या  मानवता   का  प्रलाप ।
विष बमन भांति होता मिलाप।

है  रीति   निरंकुश  प्रचुर  यहाँ,

यह नमक छिड़कती  घावों  में।
अभिशप्त  हुआ  है  प्रेम   यहाँ ,
बहना  मत  कभी  हवाओं  में ।।

सम्मानों   की   बलिबेदी  पर ,

नर  मुंड  यहाँ   चढ़  जाते  हैं ।
अंगारों   पर  नव  यौवन   की ,
वे   चिता  खूब   सजवाते हैं ।।
तब  अहं  तुष्टि  होता  उनका।
जब प्रणय युगल जल जाते हैं।

संवेदन  हीन   समाज    यहाँ ।

हो  जाता  मौन  सभाओं  में।।
अभिशप्त  हुआ  है  प्रेम  यहाँ,
बहना  मत  कभी  हवाओं में।।

पलते    बढ़ते   दुष्कर्म    यहाँ ,

पशुता में  परिणित लोक हुआ।
उपभोग    बस्तु   बनती   नारी ,
 उनको ना किंचित क्षोभ हुआ।
कानून    टीस    भरते   फिरते ,
भरपूर  साक्ष्य  पर  चोट  हुआ।

है  अजब  भयावह  नीति  यहाँ,

अबला   बिकती    मुद्राओं   में ।।
अभिशप्त  हुआ  है   प्रेम  यहाँ,
 बहना  मत  कभी  हवाओं में ।।

है  स्वांग  प्रेम   का  रचा  बसा ,

सब  भोग  विलास  वासना  है ।
इच्छाओं  की  बस  तृप्ति  मात्र ,
छल  जाती  तुच्छ   साधना  है।
कर  स्वार्थ  पूर्ति छोड़ा तन को
यह  कलुषित   पूर्ण  कामना है।

दुर्लभ   हैं   उर   के  मीत  यहाँ ,

उलझो  मत  व्यर्थ  कलाओं  में ।।
अभिशप्त  हुआ   है  प्रेम   यहाँ ,
बहना  मत  कभी  हवाओं  में ।।

अनगिनत दुशासन  अमर  हुए

अब चीर हरण भी आम हुआ।
सीता  सम  नारी  हरण  नित्य ,
नैतिकता  पूर्ण   विराम   हुआ।
शाखों  पर  झूल   गयी  कन्या ,
फिर   देश  क्रूरता  धाम  हुआ।

हे  प्रेम  पथिक  ना भटक यहाँ ,

आदर्श   मात्र    संज्ञाओं   में ।।
अभिशप्त   हुआ  है  प्रेम  यहाँ ,
बहना  मत कभी  हवाओं में ।।

          - नवीन मणि त्रिपाठी 

4 टिप्‍पणियां:

  1. तीखी कलम नहीं मिठ्ठी कलम लिखिए जो देश ब देश के लोगो से प्रेम करते हैं उन्हीं के शब्दों में ये धार होती हैं।
    http://savanxxx.blogspot.in

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  2. हे प्रेम पथिक ना भटक यहाँ ,
    आदर्श मात्र संज्ञाओं में ।।
    अभिशप्त हुआ है प्रेम यहाँ ,
    बहना मत कभी हवाओं में ।।

    सार्थक, सशक्त और सारगर्भित रचना, बधाई.

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