तीखी कलम से

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

तेरी आँखे क्यूँ बताती ये मुहब्बत है खता

ग़ज़ल

धड़कने  मेरी हो तुम यह  सिर्फ तुमको है पता ।
तेरी  आँखे  क्यूँ  बताती  ये  मुहब्बत  है खता ।।

चाँद  से  चेहरे   पे   तेरे  इश्क  बेपर्दा  सनम ।
याद  तेरी  रात  भर मुझको बहुत जाती सता ।।

दस्तावेजो पर तेरी किस्मत  लिखा कोई और  है।
पर  मुहब्बत के लिए  है रब भी तुझको देखता।।

जुल्फ   लहराई   अदाएं  कातिलाना  सी  लगीं ।
जिंदगी हो या मेरी  कातिल  मुझे कुछ तो बता।।

तू   मुकद्दर   है  मेरी  जाने   वफ़ा  ये   जान  ले ।
चाहतें   कितनी   जवां  हैं   वक्त  देगा  ये  जता ।।

तेरी  खुशबू  रूबरू  होती  है अक्सर  ख्वाब में।
तुम  रात  की  रानी लगी महकी  हुई तेरी लता ।।

जुल्फ घुंघराली जो  बादल की तरह छाती गयी ।
जब नींद से आँखे खुली तुम दे गई मुझको धता ।।

                         --नवीन मणि त्रिपाठी

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