तीखी कलम से

शनिवार, 18 जून 2016

हम भी हुए तमाम तुझे देखने के बाद

****ग़ज़ल****

मैंने  किया  सलाम  तुझे  देखने  के  बाद ।
दिल को मिला मुकाम तुझे देखने के बाद ।।

शरमा  गया  है  चाँद  तुम्हारे  शबाब  पर ।
 खत में लिखा पयाम तुझे देखने के बाद ।।

आवाज आ  रही  तिरे  कूचे से रूह तक ।
ये  चैन   है  हराम  तुझे  देखने  के  बाद ।।

शायद  हवा  की रुख  में नई फेर बदल हो ।
है  वक्त  बे  लगाम तुझे  देखने  के  बाद ।।

घर से  निकल पड़ी  कोई  खुशबू  नई नई ।
गुजरी  हसीन  शाम  तुझे  देखने  के  बाद ।।

मेरी ग़ज़ल  की आबरू  में सिर्फ  तू  ही तू ।
लिखता  रहा  कलाम तुझे  देखने के बाद ।।

छलकी  शराब  आँख  से मुद्दत के बाद है ।
है  कुछ तो  इंतजाम तुझे  देखने  के बाद ।।

कातिल  तेरी  निगाह से बचना मुहाल था ।
हम  भी  हुए तमाम तुझे  देखने  के बाद ।।

    -----नवीन मणि त्रिपाठी

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