तीखी कलम से

रविवार, 3 जुलाई 2016

तौबा तौबा

चेहरे  पर   है  रंग   गुलाबी   तौबा   तौबा ।
मतवाली  की  चाल  शराबी  तौबा  तौबा ।। 

कातिल शम्मा रोशन जलवा उम्र की हस्ती।  
नयी  अदा  में   बात  नबाबी  तौबा  तौबा ।।

बयां नजर से  हुस्न चाँद  का आधा आधा ।
हुई  हया  से  आँख  हिजाबी  तौबा  तौबा ।।

दिलों पे खंजर चला चला कर लूटी बस्ती ।
अब मस्जिद  में  पढ़े  तराबी  तौबा तौबा ।।

इश्क  कहाँ  उसके  दर  पे  खैरात बटा है ।
निकली  वह मशहूर हिसाबी तौबा तौबा ।।

खुले  दरीचों   से   लेना  अंगड़ाई     तेरा ।
यह  कैसा  दस्तूर  रूआबी  तौबा  तौबा ।।

रिन्द  यहां  हैं  मैखाने  में  शोर  बहुत  है ।
बदनामी  में  बहुत  खराबी  तौबा  तौबा ।।

चर्चा ए काबिल  है  उसकी  नयी  कहानी ।
हूर   हो  गयी  नूर   शबाबी  तौबा  तौबा ।।

लेकर  वह  तालीम  इश्क में फेल हुआ  है ।
शायद उसकी अक्ल किताबी तौबा तौबा ।।

            नवीन मणि त्रिपाठी

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