तीखी कलम से

मंगलवार, 28 मार्च 2017

ग़ज़ल - जब जब किया है याद दर्द फिर उभर गया

*221  2121  2121  212*

‌मेरी  गली   के  पास  से वो  यूँ  गुजर  गया ।
ऐसा  लगा  जमीं  पे  आसमा  उतर   गया ।।

माना   मुहब्बतों  के  फ़लसफे  अजीब  है ।
शायद नज़र खराब थी  वो भी  उधर गया ।।

मैं   रात  भर   सवाल   पूछता   रहा   मगर ।
उसका  जबाब  हौसलों के पर  क़तर  गया ।।

‌तुमने दिए जो जख़्म आज तक न भर सके ।
‌जब जब किया है  याद  दर्द  फिर उभर गया ।

इस   तर्ह  उस  हसीन  की  तू पैरवी  न  कर ।
मतलब निकलने पर जो रब्त  से मुकर गया ।।

‌तू   मेरी  आजमाइशों  की   कोशिशें   न  कर ।
जो  आया  तोड़ने  वो  हो के दर  बदर  गया ।।

‌मत  राज  जिंदगी  का  पूछिए   हुजूर  अब ।
कातिल  भी  मेरी  मुस्कुराहटों  पे मर  गया ।।
‌               
‌जब  भी गए हैं आईने  के पास  वो  सनम ।
‌किस्मत  बुलंद  पा के आइना  निखर  गया ।।


‌               --नवीन मणि त्रिपाठी

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