तीखी कलम से

सोमवार, 26 जून 2017

ग़ज़ल -- तेरे चमन में देखा तन्हाइयों की चर्चा

*221  2122  221 2122*
तेरे चमन में  देखा  तन्हाइयों की चर्चा ।
कुछ  लोग कर रहे हैं दुष्वारियों की चर्चा  ।।

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चेहरा छुपा छुपा के वह रोज मिल रही है ।
होने लगी है उसकी लाचारियों की चर्चा ।।
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चुपचाप वो खड़े हैं देखा कभी था जिनको ।
मशहूर कर गई थी बेबाकियों की चर्चा ।।
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चलती रही वो अक्सर बनकर के रूह मेरी ।
क्यो आज हो रही है परछाइयों की चर्चा ।।

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मुँह फेर कर गई हैं खुशियां भी मेरे दर से ।
जब से हुई हमारी बीमारियों की चर्चा ।।

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नज़रों से सब बयाँ है चेहरा खिला खिला है ।
सुनकर गई है वह भी शहनाइयों की चर्चा ।।

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यूँ ही ग़ज़ल हुई थी मालूम था कहाँ ये ।
पैनी नज़र से होगी बारीकियों की चर्चा ।।

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शायद वो शहर भर में बदनाम हो चुका है ।
सबकी जुबां से सुनता रुसवाइयों की चर्चा ।।

              नवीन मणि त्रिपाठी

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