तीखी कलम से

शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

ग़ज़ल -मुमकिन है दौरे इश्क़ बढाया न जाएगा ।

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मुझको भी उसके पास बुलाया न जाएगा ।।
मुमकिन है दौरे इश्क़  बढाया न जाएगा ।।

चेहरे  से वो  नकाब भी हटती नही है अब।
किसने  कहा  गुलाब  छुपाया न  जाएगा ।।

दिल मे  ठहर गया है मेरे  इस तरह से वो।
उसका वजूद दिल से मिटाया न जाएगा ।।

यूँ  ही  तमाम   उम्र  निभाता  रहा  हूँ  मैं ।
अब साथ जिंदगी का निभाया न जाएगा ।।

बन ठन के मेरे दर पे वो आने लगे हैं खूब ।
मुझसे  मेरा  उसूल   बचाया  न   जाएगा ।।

यूँ   चाहता    रहा   हूँ   उसे   बेपनाह   मैं।
फिर भी यकीन उसको  दिलाया न जाएगा ।।

अब थक चुका हूँ मौत मिरे  आस पास  है ।
मुझसे  मेरा   नसीब  मिटाया   न  जाएगा ।।

हाला कि खत में बात न करने की बात थी ।
ज़ज़्बात पर वो जुल्म भी ढाया न जाएगा ।।

रोयेगी  तेरी  रूह  मुहब्बत  में  एक  दिन ।
तुझसे मेरा  कफ़न भी  हटाया न जाएगा ।।

ऐलान  कर  रहे  जो  मिरे  जश्ने  मौत का ।
सबको खबर  है  जश्न मनाया  न जाएगा ।।

पूछो  न  हम  से  हाल जुदाई  के  बाद का ।
कोई भी दिलका जख्म दिखाया न जाएगा।।

कैसे  भुला  दूँ  तुझको  बता  तू ही हमनशीं ।
मुझ से तो तेरा ख़त भी जलाया न जाएगा ।।

मैं  हुस्न  का  हूँ  एक जमाने  से  मुन्तजिर ।
शायद मुझे वो  चाँद  दिखाया न जाएगा ।।

                    - नवीन मणि त्रिपाठी 
                           मौलिक

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