तीखी कलम से

सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

बड़ी चर्चा तुम्हारी हो रही है

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किसी  पर  जां निसारी हो  रही  है ।
नदी अश्कों  से  खारी हो  रही  है ।।

सुकूँ  की अब फरारी  हो  रही   है ।
अजब  सी  बेकरारी  हो  रही  है ।।

तुम्हारे   हुस्न   पर   है   दाँव  सारा ।
यहाँ  दुनियां  जुआरी   हो  रही  है ।।

शिकस्ता अज़्म है कुछ आपका भी ।
सजाये  मौत   जारी   हो   रही   है ।।

जली है फिर कोई  बस्ती वतन  की ।
फजीहत  फिर  हमारी  हो  रही  है ।।

यहां  तहजीब का आलम  न  पूछो।
वफ़ा की  ख़ाकसारी  हो  रही  है ।।

कहा था मत पियो इतना जियादह ।
बड़ी  लम्बी  खुमारी   हो  रही   है ।।

जरा  पर्दे  में  रहना सीख  लो  तुम ।
नज़र  कोई  शिकारी  हो  रही  है ।।

कतारें लग  चुकीं  रिन्दों  की देखो।
अदा   से  आबकारी  हो  रही  है ।।

कटेगी किस तरह ये जिंदगी अब ।
दुआओं  की  भिखारी हो रही है ।।

सुना है महफ़िलो में आजकल तो ।
बड़ी  चर्चा  तुम्हारी   हो  रही  है ।।


         --नवीन मणि त्रिपाठी
           मौलिक अप्रकाशित

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