तीखी कलम से

सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

क्या हुआ जो सताने लगी

212 212 212
आप  भी   जुल्म  ढाने  लगे ।
क्या  हुआ  जो  सताने  लगे।।

दिल तो था आपके पास ही ।
आप  क्यूँ  आजमाने  लगे ।।

क्या कमी थी मेरे  हुस्न  में ।
गैर  पर  दिल  लुटाने लगे ।।

रफ्ता  रफ्ता  नजर से  मेरी ।
आप  दिल  में  समाने लगे ।।

क्या हुआआपकोआजकल ।
बेसबब     मुस्कुराने    लगे ।।

कर गयी सच बयाँआंख जब।
आप  क्यूँ  तिलमिलाने  लगे ।।

जाम  साकी  पिला मत उन्हें।
अब  कदम  डगमगाने  लगे ।।

जब  निभाने  की  चर्चा  हुई ।
आप  क्यूँ  मुँह  चुराने  लगे ।।

इक मुलाकात पर लोग क्यूँ।
उंगलिया  फिर  उठाने लगे ।।

          नवीन मणि त्रिपाठी
         मौलिक अप्रकाशित

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