तीखी कलम से

सोमवार, 18 जून 2018

रोज़ियों पर तेरी रज़ा क्या है

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नाम   दिल  से   तेरा  हटा   क्या  है ।
पूछते    लोग   माजरा    क्या    है ।।

नफ़रतें     और      बेसबब     दंगे ।
आपने  मुल्क को  दिया   क्या  है ।।

अब तो कुर्सी का जिक्र मत करिए ।
आपकी  बात  में  रखा  क्या   है ।।

सब   उमीदें   उड़ीं    हवाओं   में ।
अब तलक आप से मिला क्या है ।।

है गुजारिश  कि आज  कहिये तो ।
आपके दिल में और क्या  क्या है ।।

दिल की बस्ती तबाह  कर  डाली ।
क्या   बताऊँ   तेरी  ख़ता  क्या है ।।

बारहा    हाल   पूँछ   मत    मेरा ।
मुद्दतों   से  यहाँ  नया   क्या  है ।।

यूँ   मुकरते    हो   रोज   वादों   से ।
आँख  में  भी  बची  हया  क्या है ।।

गिर  गए  आप  वोट  की  खातिर ।
आपकी  शाख़  में  बचा  क्या  है ।।

ख़ुदकुशी  कर रहे वो पढ़ लिखकर ।
रोज़ियों   पर   तेरी   रज़ा   क्या   है ।।

      --- नवीन मणि त्रिपाठी

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-06-2018) को "क्या होता है प्यार" (चर्चा अंक-3007) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  2. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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