तीखी कलम से

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

देख कर हुस्न को इक नज़र जायेंगे

212 212 212 212 
आप  जब   आईने   में   सँवर   जाएंगे ।
फिर तसव्वुर में हम  चाँद  पर  जाएंगे ।।

गर   इरादा    हमारा    सलामत   रहा ।
तो   सितारे  जमीं   पर  उतर  जायेंगे ।।

आज महफ़िल में वो आएंगे  बेनकाब ।
देखकर  हुस्न  को  इक  नज़र  जाएंगे ।।

आज  मौसम  हसीं ढल  गयी  शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब  किधर जाएंगे ।।

कीजिये   बेसबब  और   इनकार   मत ।
हौसले    और   मेरे    निखर    जाएंगे ।।

जानकर क्या  करेंगे वो अब हाले दिल ।
खुल  गई  गर  जुबां  तो सिहर जाएँगे ।।

उँगलियाँ मत उठाओ अभी  इश्क़ पर ।
ठोकरें खा के  हम भी  सुधर  जाएंगे ।।

अब  निभाने की बातें बहुत हो  चुकीं ।
मुझको  मालूम  है  वो  मुकर  जाएंगे ।।

ये  अना   बेरुखी   देखकर   लोग  तो ।
दिल लगाने से  पहले  ही डर  जाएंगे ।।

हिज्र   से   फर्क   इतना  पड़ेगा  यहाँ ।
ख्वाब थे  कुछ बुने  जो  बिखर जायेंगे ।।

मैकदे  मत  बुला  दिल  पे काबू  कहाँ ।
हम जो आये  तो हद से  गुज़र जाएंगे ।।

        ---नवीन मणि त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें