तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

मुमकिन है उन्हें अपनी भी याद आये कहानी

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मुमकिन है उन्हें अपनी भी याद आये कहानी ।

गर  कोई  मुहब्बत  की   सुना  जाए कहानी ।।


उल्फ़त के ज़माने की नई ताज़गी लेकर ।

दिल बारहा इस दौर में बहलाये कहानी ।।


शिकवा गिला इल्ज़ाम से ज्यादा न मिला कुछ ।

मुद्दत  के  बाद  आप  जो  बुन  पाए कहानी ।।


मुझको सुना के मुझपे सितम कर न मेरे यार ।

शब भर मेरे अश्क़ों को जो छलकाए  कहानी ।।


जब से मेंरे जज़्बात को छूकर गयी है वो ।

तब से यूँ ख़यालात  में उलझाए कहानी ।।


वो हुस्न ही चर्चा में रहा दुनिया में अक्सर ।

अपनी अदा से हुस्न जो लिखवाए कहानी ।।


हम  तो ठगे से रह गए  महँगाई  में साहब ।

कोई तो हमें देश की समझाए  कहानी ।।


छपने में सियासत है सुखनवर ही क्या करे।

लिख कर तमाम रात वो पछताए कहानी ।।


        --नवीन

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