तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

ग़ज़ल

 2122 1122 1122 22


रंग  चेहरे  का  यूँ  उतरा  नहीं  देखा जाता ।

इस  तरह  दिल  तेरा टूटा नहीं देखा जाता ।।1


आ गए  हो  तो यहाँ पीना पिलाना सीखो ।

मैकदे  में  कभी पैसा   नहीं  देखा जाता ।।2


वस्ल की गर है तमन्ना तू बगावत पे उतर ।

आजकल प्यार में पहरा नहीं देखा जाता ।।  3


मैं  मनाने की कसम खा के यहाँ आया हूँ ।

दोस्त कैसा भी हो रूठा नहीं देखा जाता ।।4


बेच देता है अमानत वो सितमगर अक्सर ।

क्या करूँ देश का सौदा नहीं देखा जाता ।।5


आग   उसने   जो  लगाई  है चमन में  यारो  ।

अब धुँआ  पानी से उठता नहीं देखा जाता।।6


अब न हिन्दू न मुसलमा की कोई   चर्चा हो ।

भाई  भाई  में  हो  झगड़ा  नहीं  देखा जाता ।।7


                --नवीन

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