तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

आइने जो कहें वो सुना कीजिये

 212 212 212 212


आइनों   को   बुरा  मत   कहा   कीजिये ।

आइने    जो    कहें   वो   सुना  कीजिये ।।1


हर्फ़  उभरे  हैं उल्फ़त  के  रुख़सार  पर ।

उनके  चेहरे  को  कुछ तो पढा कीजिये ।।2


आज  महफ़िल  में  वो आएंगे बेनक़ाब  ।

दिल  न  टूटे  किसी  का  दुआ  कीजिये ।।3


है    मुनासिब    नहीं   ख़ामुशी   आपकी ।

गर  हैं   बीमारे  ग़म  तो  दवा   कीजिये ।।4


अब  मुहूरत  पे  चर्चा   बहुत   हो  चुका ।

बस  अभी  प्यार  की  इब्तिदा  कीजिये ।।5


कैसे   डसतीं   हैं  मुझको  ये  तन्हाइयां ।

मेरे   हालात    पर   तब्सिरा   कीजिये ।।6


ज़ख़्म   नासूर  हो  जाएगा  एक   दिन ।

ज़ख़्म को  इस  तरह मत  हरा  कीजिये ।।7

        

       --नवीन मणि त्रिपाठी

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