तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

जमहूरियत से देश का पहला सवाल हो

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हिन्दोस्तां के चेहरे पे कुछ तो जमाल हो ।

ऐसा  न  काम कीजिये जीना मुहाल हो ।।1


साज़िश रची गयी है यहां तोड़ने की यार । 

ये ख़्वाहिशें हुज़ूर की घर घर बवाल हो ।।2


कब तक जियेंगे भुखमरी के दौर में यहाँ ।

जमहूरियत से देश का पहला सवाल हो ।।3


गर  बेचना  है आपको सब  बेच  डालिये ।

जाने के बाद जिससे न दिल को मलाल हो ।।4


हालात    आप    पूछिये   बेरोजगार   से ।

शेयर के दाम में जहाँ दिनभर  उछाल हो ।।5


उस देश के वजूद की चर्चा करें भी क्या ।

हर काम के लिए जहां मिलता दलाल हो ।।6


इस हाल में हैं जी रहे अस्सी करोड़ अब ।

घर में हमारे थोड़ा सा ही आटा दाल हो ।। 7


मिट जाए भूख सबकी सभी चैन से सो लें ।

'इक दिन मेरे जहान में ऐसा  कमाल हो ।।

                     --- नवीन

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